प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की रणनीति

भोपाल। पदोन्नति में आरक्षण संबंधी मध्यप्रदेश पदोन्नति नियम 2002 को निरस्त कर माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा दिये गये निर्णय को लागू करने के लिये संस्था लगातार विगत एक वर्ष से संघर्ष कर रही है। दिनांक 21 मई 2017 को संस्था के प्रांतीय अधिवेशन में लिये गये निर्णय के अनुसार प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में दिनांक 12.6.2017 को रैली/ प्रदर्शन किये जा रहे है, जिसके पश्चात् महामहिम राष्टपति महोदय एवं माननीय प्रधान मंत्री के नाम ज्ञापन भी संबंधित जिला कलेक्टर के माध्यम से भेजे जावेगे। 

उक्त अधिवेशन में उपस्थित अखिल भारतीय स्तर के अन्य संस्था अध्यक्षों के साथ हुई सम्मिलित बैठक में यह निर्णय भी लिया गया था कि दिनांक 12 जून को ही सभी अन्य प्रदेशों की राजधानियों में केन्द्र सरकार द्वारा व्यक्त संकल्प, जो कि पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में लाये जा रहे नये संविधान संशोधन से संबंधित है, के विरोध में प्रदर्शन किये जावेगे। इसके अतिरिक्त दिनांक 7 जुलाई 2017 को सभी प्रदेशो में जनपद स्तरीय रैलिया/प्रदर्शन किये जावेगे एवं संसद के मानसून सत्र के दौरान राजधानी नई दिल्ली में अखिल भारतीय स्तर का विरोध प्रदर्शन किया जावेगा, जिसकी निश्चित तारीख की घोषणा मानसून सत्र की तारीखें निर्धारित होने के उपरांत की जावेगी। 

दिनांक 28 मई को अजाक्स द्वारा प्रांतीय अधिवेशन किया जा रहा है। सपाक्स संस्था द्वारा अध्यक्ष अजाक्स को पत्र लिखकर तीन महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर जानकारी चाही गई थी। संस्था अपेक्षा रखती है कि उन तीन बिन्दुओं पर अजाक्स संगठन अपने अधिवेशन में गंभीरता से विचार करते हुये उचित कार्यवाही करेगा एवं स्वयं अपने वर्ग के वंचित लोगो के हित में सार्थक निर्णय करेगा। अजाक्स द्वारा यह आरोप लगाये जा रहे है कि सपाक्स वर्ग संघर्ष की स्थिति पैदा कर रहा है यह आरोप पूरी तरह हास्यास्पद है। सपाक्स द्वारा मात्र उस न्यायोजित मांग की पूर्ति का अनुरोध किया जा रहा है जिस पर माननीय उच्च न्यायालय निर्णय कर चुका है एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय अपने एकाधिक फैसलों में मुहर लगा चुका है। 

वस्तुतः अजाक्स द्वारा पदोन्नति में आरक्षण की मांग शासन से करने एवं इसे बनाये रखने के प्रयास स्वयं अपने वर्ग के वास्तविक वंचितो को उनके हक से दूर रखने की कोशिश है। अनुसूचति जाति/ जन जाति वर्ग के वे लोग जो मुख्य धारा में आ चुके है आरक्षण के हित लाभो को छोडना ही नहीं चाहते है एवं जाति आधारित आरक्षण का लाभ सम्पन्न होने के बाद भी लगातार लेकर स्वयं जाति व्यवस्था को कायम रखने में सहयोगी है। आरक्षित वर्ग में जिस व्यक्ति नेे इसका प्रथम लाभ लिया था उसकी तीसरी पीढी भी इसका लाभ ले रही है, जबकि इसी संवर्ग का गरीब तबका लाभ लेने से वंचित है। 

पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था से सिर्फ सामान्य/ पिछडा/ अल्पसंख्यक वर्ग ही नहीं स्वयं अनुसूचित जाति/ जन जाति के वंचित भी अपना हक खो रहे हैं एवं 4-5 प्रतिशत संपन्न आरक्षित वर्ग ही पीढियों से इसका फायदा उठा रहे हैं।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !