BHOPAL: मेडिकल माफिया के चंगुल में फंसे किसान ने आत्महत्या कर ली

भोपाल। देश में बहुत से मुद्दे उठते हैं परंतु मेडिकल माफिया के खिलाफ आज तक देश में कभी कोई आंदोलन नहीं हुआ जबकि हकीकत यह है कि मेडिकल माफिया के चंगुल में फंसकर हर रोज कई लोग मर जाते हैं। यहां 10 साल से डॉक्टरों के महंगे इलाज के जाल में फंसे एक किसान ने अस्पताल के सामने तालाब में कूदकर आत्महत्या कर ली। 35 वर्षीय किसान गोपाल यादव राजगढ़ का रहने वाला था। उसकी एक किडनी फेल हो चुकी थी। डॉक्टर 10 साल से उसे महंगा इलाज दे रहे थे परंतु उसे कतई आराम नहीं हो रहा था अंतत: उसने महंगे इलाज और तड़प भरी जिंदगी से तंग आकर आत्महत्या कर ली। 

डॉक्टर्स इन दिनों इलाज से ज्यादा कमाई पर फोकस कर रहे हैं। डॉक्टर मर्ज से ज्यादा मरीज के परिजनों की घबराहट पर स्टडी करते हैं। जिस मरीज के परिजन जितने ज्यादा घबराते हैं, डॉक्टर उसे उतना ही ज्यादा चंगुल में फंसा लेते हैं। महंगी दवाओं के बावजूद इलाज कुछ इस तरह से किया जाता है कि मरीज लंबे समय तक बीमार बना रहे और फीस व दवाओं पर खर्चा करता रहे। दुखद यह है कि इस तरह की जालसाजी को पकड़ने के लिए सरकार के पास कोई ऐजेंसी नहीं है। देश में आज तक ऐसे विशेषज्ञों की टीम तैयार ही नहीं की गई जो यह बता सके कि डॉक्टर किसी मरीज का इलाज सही दिशा में कर रहा है या नहीं। 

शाहजहांनाबाद पुलिस के अनुसार ग्राम बाउली तहसील सारनपुर जिला राजगढ़ निवासी गोपाल यादव (35) पिता दौलत यादव किसान था। वह गुरुवार को पत्नी कृष्णा और परिजनों के साथर कार से भोपाल के एक अस्पताल में अस्पताल इलाज के लिए आया था। किडनी खराब होने के कारण उसका डायलीसिस चल रहा था। उसका नंबर 12 बजे का था। इस कारण वह दोपहर करीब 11 बजे परिजनों के साथ अस्पताल के सामने कार में आकर बैठ गया। इसके बाद वह गायब हो गया। काफी देर तक गोपाल के नहीं लौटने पर कृष्णा और परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की। अस्पताल और यहां वहां देखने के बाद भी जब उसका कुछ पता नहीं चला तो परिजन शाहजहांनाबाद पुलिस थाने पहुंचे। महिला की शिकायत पर मौके पर पहुंची पुलिस ने गोताखोरों की मदद से करीब 10 मिनट बाद शव बरामद कर लिया। कृष्णा ने शव की शिनाख्त की। पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

आंख बचाकर कूद गया तालाब में
नंबर लगाने के बाद गोपाल परिजनों के साथ कार में बैठ गया। थोड़ी देर बाद वह कार से बाहर आ गया। कुछ देर तक कृष्णा ने उसे यहां-वहां घूमते देखा, लेकिन उसके बाद वह नहीं दिखा। यहां 12 बजने के कारण परिजनों ने जब गोपाल को कार से उतरकर देखा तो वह कहीं नजर नहीं आया। काफी देर तलाश करने के बाद भी कुछ पता नहीं चला। इस दौरान किसी ने उन्हें बताया कि एक युवक को तालाब में उतरते देखा था। इसके बाद परिजन पुलिस के पास शिकायत लेकर पहुंचे।

10 साल से चल रहा था इलाज
पुलिस के अनुसार गोपाल की एक किडनी फेल हो चुकी थी। उसका वर्ष 2008 से एलबीएस अस्पताल में इलाज चल रहा था। गुरुवार को उसे डायलीसिस के लिए बुलाया गया था। परिजनों ने पुलिस को बताया कि गोपाल बीमारी को लेकर काफी मानसिक तनाव में था। वह इसको लेकर हमेशा दुखी रहता था। वह अक्सर कहता था कि वह बीमारी के कारण काफी कमजोर हो गया है और एक दिन मर जाएगा, लेकिन परिजनों को कभी यह नहीं लगा कि वह आत्महत्या कर सकता है। परिजन उसका हौंसला बढ़ाते रहते थे, लेकिन वह इलाज से परेशान हो चुका था।

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