रोग एवं कर्ज से बचने के लिए राशि अनुसार क्या करें | ASTRO

कहते है सबसे बड़ा सुख है नीरोगी काया। हम जीवन मॆ सभी आनंद शरीर द्वारा ही भोगते है हमारे द्वारा किये गये पाप और पुण्य भी इस शरीर द्वारा भोगे जाते है। एक तरह से हम यह कह सकते है की हमारे पाप और पुण्य से ही हमारे शरीर का निर्माण होता है। जिस तरह से हमारे कर्म होंगे वैसे ही मां के रज और पिता के वीर्य द्वारा ही हमारी देह का निर्माण होता है।

कर्मों की श्रेणी
हमारे द्वारा हर पल कर्म होता है साथ ही उस कर्म का संचित भी जमा होता जाता है। उच्च स्तर के पाप उच्च निम्न स्तर की तामसिक देह मॆ जन्म देते है अर्थात आपका जन्म घृणित संस्कारो वाले परिवार मॆ होगा। वही उच्च स्तर के दान पुण्य श्रेष्ठ कुल मॆ की देह मॆ जन्म देते है। 

रोग कर्ज निर्माण
जब हमे कोई रोग होता है तब हमे कष्ट होता है कष्ट निवारण के लिये हम वैध चिकित्सक के पास जाते है कई बार रोग ठीक हो जाता है। कई बार रोग मौत के साथ ही जाता है। कई बार रोगी के साथ पूरा परिवार कष्ट भोगता है। ये सब क्या है इसके लिये हमे कर्मों की श्रेणी समझनी होगी।कर्म के द्वारा सभी आत्माओ का स्तर तैयार होता है।अच्छॆ बुरे कम अच्छॆ कम बुरे ,बहुत अच्छॆ बहुत बुरे इस तरह आत्माओ का समूह तैयार हो जाता है यह आत्मा एक ही कुल परिवार मॆ जन्म लेती है।

रोग कर्ज शनि का दंड
इस जगत मॆ दो दंडाधिकारी है जीवनकाल मॆ शनि तथा मरने के पश्चात यमराज शनिदेव साडेसाति ढैया तथा अडैया द्वारा लघु और रोग निर्माण कर कष्ट देते है।कई बार जातक इतना पापी होते है की उनका पूरा जीवन रोग निवारण मॆ ही ख़त्म हो जाता है कई बार रोगेष की दशा भी जातक को अस्पताल का चक्कर कटबाती है जब तक आपके पापों का पूर्ण भुगतान नही हो जाता तब तक ये मीटर चलता ही रहता है अधिकतर आपके लेनदार डाक्टर दवाविक्रेता के रूप मॆ होते है।कई बार आपदा दुर्घटना तथा अकाल मौत भी इसका परिणाम होती है।

वैध नारायण हरी
जैसा की हम बता चुके है की रोग बीमारी आपका पुरानी देनदारी है जिससे परमात्मा अपने वसूली एजेंट राहु महाराज तथा दंडाधिकारी द्वारा वसूल करते है। कठिन दंड और ज्यादा तकलीफ उनको होती है जो अपने पापों को छुपाते है और स्वीकरोक्ति से बचते है लेकिन जो सच्चे हृदय से अपने सभी पापों को स्वीकार कर लेते है उनके प्रति परमात्मा को कोर्ट भी नरम हो जाती है भगवान कृष्ण ने तो गीता मॆ यहां तक कहा है की यदि तुम पूर्णतः शरणागत हो तो मै तुम्हारे सारी जिम्मेदारी अपने सर पर लेता हूँ। इसके बाद क्या बचता है इसीलिए भगवान को चिकित्सक मानकर अपने सभी जाने अनजाने पापों को स्वीकार करने से भगवान सभी पापों को हरण करते है।मानस मॆ भगवान ने कहा है की *सनमुख होई जीव मोहि जबही जन्म कोटि अघ नासहि तबहिं*साथ ही आपके बुरे वक्त को निकालने मॆ संत गुरु या किसी भी मददगार को भेजते है।

दान द्वारा रोग,कर्ज निवारण
अधिकतर रोग होने के कारण आपका पुरानी देनदारी ही होती है यदि आप किसी विद्वान के पास जायेंगे तो वह निश्चित रूप से आपकी देनदारी के विषय मॆ जानकारी देगा। यदि आपने भगवान को साक्षी मानकर दान शुरू कर दिया तो निश्चित रूप से आपको रोग,कर्ज तथा आपत्ति निवारण मॆ मदद मिलेगी।

सभी राशियों के लिये रोग तथा दान
*मेष*-इस राशि व लग्न के लिये बुध ग्रह कर्ज व रोग का कारक होता है इसिलिये हरी वस्तुओं का दान करना चाहिये बहन बेटी और बुआ की यथासम्भव मदद करना चाहिये किसी गरीब की कन्या का विवाह करना चाहिये।
वृषभ*-इस राशि के लिये गुरु अकारक होता है इसीलिए इन्हे पीली वस्तुओं का दान करना चाहिये हो सके तो ब्राहम्णो की मदद करना चाहिये।
मिथुन*इस राशि के लिये मंगल ग्रह परम मारक होता है इन्हे लाल वस्तुओं का दान करना चाहिये।अपने से छोटों की मदद करना चाहिये हो सके तो किसी किसान की मदद करें।
कर्क*-इस राशि के बुध और शनि दो अकारक ग्रह होते है।इन्हे हरी नीली वस्तुओं का दान करना चाहिये।किसी गरीब की कन्या का शिक्षा का खर्च देना चाहिये।
सिंह*इस राशि वालो को तेल,लोहा आदि का दान करना चाहिये किसी गरीब के भवन निर्माण द्वारा आप शनि ग्रह के ऋण से उऋण हो सकते है।जल दान भी आपके लिये लाभदायक हो सकता है।
कन्या*-इस राशि वालों को लाल तथा गुलाबी चीजों का दान करना चाहिये।अपने से छोटों की मदद करना चाहिये।किसी गरीब किसान की बुआई मॆ आर्थिक मदद करना चाहिये।
तुला*-इस राशि वालों को पीली वस्तुओं का दान ब्राह्मण को करना चाहिये।किसी गरीब ब्राह्मण बालक की शिक्षा मॆ मदद करनी चाहिये।
वृश्चिक*-इस राशि वालों को किसी गरीब की बहन बेटी के विवाह का सामर्थ्य अनुसार खर्च उठाना चाहिये।
धनु*-इस राशि वालों को महिलाओ के कामकाज या रोजगार की सामर्थ्य अनुसार व्यवस्था करना चाहिये।किसी नेत्रहीन की मदद भी आपको अच्छा लाभ देगी।
मकर*इस राशि वालो को किसी ब्राह्मण की बेटी के विवाह मॆ यथायोग्य आर्थिक मदद रोग तथा कर्ज निवारण मॆ मदद कर सकती है।
कुम्भ*-इन्हे किसी मछुआरे की संतान की शिक्षा मॆ यथायोग्य मदद करना चाहिये।इससे आपके जीवन की बहुत सी समस्याओं का निवारण होगा।
मीन*-इस राशि वालों को नेत्रहीन लोगों के कार्यों मॆ यथासम्भव मदद करनी चाहिये। गेहूँ गुड़ ताम्बे का दान करना चाहिये।गरीबो के खाने मॆ मदद करनी चाहिये।
प.चंद्रशेखर नेमा "हिमांशु
9893280184,7000460931
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