नई दिल्ली। यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के चेन्नई स्थित घर पर सीबीआई की टीम ने छापा मारा है। जानकारी के मुताबिक सीबीआई की टीम ने सुबह 7 बजे चिंदबरम के 16 अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की। हालांकि सीबीआई ने अभी आधिकारिक तौर पर छापेमारी के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी है। सूत्रों के मुताबिक यूपीए सरकार के समय एक मीडिया समूह को विदेशी निवेश के मामले में अनुमित दिलाने के केस में यह छापेमारी की गई है। सीबीआई ने इस मामले में सोमवार को एफआईआर दर्ज की थी। इस मामले में चिदंबरम के बेटे कार्ति पर आरोप है कि उन्होंने अनुमति दिलाने के एवज में रिश्वत ली थी।
सीबीआई की टीम चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति से जुड़े 16 ठिकानों की तलाशी ले रही है। यह छापेमारी मुंबई, दिल्ली, गुरुग्राम और चेन्नई में स्थित कार्ति चिदंबरम के घर पर की गई है। वहीं कांग्रेस नेता केआर रामासामी ने छापेमारी की कार्रवाई पर कहा कि चिदंबरम ने कुछ भी गलत नहीं किया है। यह छापेमारी राजनीतिक साजिश के तहत की जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश पर क्लीयरेंस देने के मामले में यह छापेमारी की गई है। सोमवार को इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी। चिदंबरम के घर समेत चेन्नई में 14 जगहों पर छापे मारे गए हैं। कार्ति चिदंबरम पर आरोप है कि उनकी कंपनी ने आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश के मामले में क्लीयरेंस दिलाने की एवज में 2008 में रिश्वत ली थी। पी चिदंबरम कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक हैं और मनमोहन सिंह सरकार में वित्त मंत्री और गृह मंत्री रह चुके हैं। उस दौरान आईएनएक्स मीडिया पर पूर्व मीडिया टायकून पीटर मुखर्जी और पत्नी इंद्राणी मुखर्जी का स्वामित्व था जोकि अपनी बेटी शीना बोरा की हत्या के मामले में जेल में हैं।
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक वे इस मामले की जांच कर रहे हैं कि कार्ति चिदंबरम की कंपनी को आईएनएक्स मीडिया समूह से 10 लाख रुपये मिले थे। उसके बदले में कार्ति की कंपनी ने आईएनएक्स मीडिया को चार करोड़ रुपये पाने के लिए एफआईपीबी यानी फॉरेन एक्सचेंज प्रमोशन बोर्ड क्लीयरेंस दिलाने में मदद की थी। वास्तव में आईएनएक्स को इसके जरिये चार करोड़ नहीं बल्कि 305 करोड़ रुपये मिले थे।
सीबीआई की छापेमारी पर प्रतिक्रिया देते हुए पी चिदंबरम ने कहा कि इसके माध्यम से सरकार मेरी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है लेकिन इसके बावजूद मैं यह कहना चाहूंगा कि मैं सरकार के खिलाफ लिखता और बोलता रहूंगा. इस संबंध में कांग्रेस के प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ''यह लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए और एक धारणा विकसित करने के लिए किया गया है.''
एक मामला यह भी है
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, कार्ति चिदंबरम की कंपनी में एयरसेल मैक्सिस डील के दौरान दो लाख डालर मैक्सिस ग्रुप की कंपनियों से आए थे, जो तत्कालीन विनिमय दर के हिसाब से लगभग एक करोड़ रुपये बनते हैं। ये पैसे 2007 से 2010 के बीच चेस मैनेजमेंट सर्विसेज में मैक्सिस ग्रुप की विभिन्न कंपनियों से आए थे। डील के दौरान एडवांटेज स्ट्रैटजिक कंसल्टिंग में भी मैक्सिस की कंपनियों से लेन-देन किए गए थे।
तय नियम के मुताबिक 2007 में कोई भी विदेशी कंपनी दूरसंचार क्षेत्र की भारत की कंपनी में 74 फीसद से अधिक निवेश नहीं कर सकती थी। लेकिन मैक्सिस को लगभग 100 फीसद विदेशी निवेश लाने की अनुमति दे दी गई थी, जो एफआइपीबी के तय नियमों के खिलाफ था। आशंका है कि एफआइपीबी ने यह फैसला तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के दबाव में लिया था। एयरसेल-मैक्सिस डील में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन पर पहले ही ईडी का शिकंजा कस चुका है। दयानिधि मारन और उनके भाई कलानिधि मारन के खिलाफ मनी लांड्रिंग मामले में आरोपपत्र दाखिल करने के साथ ही ईडी उनकी कंपनियों के 752 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर चुका है।