भोपाल। प्रदेश में सौ से ज्यादा फर्जी नियुक्तियों का फर्जीवाड़ा सामने आया है। स्वास्थ्य विभाग में यह भर्तियां तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर कर दी गई थी, जब ट्रांसफर लिस्ट जारी हुई तो पता चला कि ये कर्मचारी तो भर्ती हुए ही नहीं है। इस मामले में जिलों में अफसरों की मिलीभगत सामने आई है। वित्त विभाग के पास जब ट्रांसफर हुए इन कर्मचारियों को कोड नंबर सहित जानकारी आई तो यहां जांच में फर्जीवाड़ा सामने आया कि इस तरह की भर्ती हुई ही नहीं। इस मामले को कोष एवं लेखा ने स्वास्थ्य संचालनालय को भेजा है, ताकि फर्जी भर्ती में कौन-कौन शामिल था सामने आ सके।
यह मामला उजागर होने के बाद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को शोकॉज नोटिस जारी कर जानकारी मांगी गई है। इसमें कहा गया है कि फर्जी स्थानांतरण के माध्यम से आपके अधीन कर्मचारियों का कार्यरत होना पाया गया है। इसके बाद भी इन कर्मचारियों पर एफआईआर नहीं करवाई गई। इतना ही नहीं ये कर्मचारी करीब दो साल तक तनख्वाह भी लेते रहे। नोटिस में कहा गया है कि सीएमओ द्वारा समय रहते कार्रवाई की जाती तो फर्जी रूप से विभाग में विभिन्न पदों पर उपस्थिति होने की घटना ही नहीं होती। साथ ही इन व्यक्तियों को वेतन भत्ते के रूप में भुगतान की गई शासकीय धन राशि को रोका जा सकता था।
कर्मचारियों की फर्जी नियुक्तियां और ट्रांसफर आॅर्डर के बाद वित्त विभाग ने इस तरह के फर्जीवाड़े पर रोक लगाने के लिए नई व्यवस्था शुरू की है। इसमें अधिकारी कर्मचारी का जैसे ही ट्रांसफर होगा उसका सर्विस रिकाॅर्ड तुरंत जहां नई पोस्टिंग हुई है वहां पहुंच जाएगा। ऐसे में किसी भी संभाग में तबादला हुए कर्मचारी को कमिश्नर, कलेक्टर और जिलों में अधिकारी नहीं रोक पाएंगे। इसकी वजह ट्रांसफर होने के बाद कर्मचारी का एक दिन का भी वेतन नहीं निकलेगा। जहां भी नई पोस्टिंग हुई है वहां ज्वाइनिंग के बाद ही वेतन निकल पाएगा।
फर्जी नियुक्तियों और ट्रांसफर के मामले सामने आने के बाद नई व्यवस्था इस तरह की गई है कि कहीं भी कोई चूक होने की संभावना ही नहीं है। ट्रांसफर के बाद कर्मचारी की जहां पोस्टिंग हुई है। वहीं से उसका वेतन निकलेगा। जयंत मलैया, वित्त मंत्री