पूरे भारत में शरीयत अदालतें कायम की जाएंगी: जाफर | STATEMENT

भोपाल। तीन तलाक के मुद्दे पर हंगामा ज्यादा है, सरकार देश में सर्वे करा ले हिन्दू और ईसाइयों की तुलना में मुस्लिम समाज में तलाक बहुत कम है। सोशल मीडिया के जरिए भी तलाक देना गुनाह नहीं, यदि आपस में रजामंदी नहीं है तो 3 क्यों एक बार ही तलाक कहना काफी है। समान सिविल कोड जैसी मांग का समर्थन अनुचित है। देशभर में शरीयत अदालतें कायम की जाएंगी। जिनमें 3 तलाक, निकाह, विरासत और मुस्लिम पर्सनल लॉ से संबंधित मामले सुलझाए जाएंगे।

यह विचार मुस्लिम पर्सनल लॉ जागरुकता अभियान के राष्ट्रीय समन्वयक मोहम्मद जाफर ने व्यक्त किए। पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने दावा किया कि हिंदुओं में 13 गुना और ईसाइयों में 4 गुना ज्यादा तलाक के मामले हैं। जमायते इस्लामी की ओर हम गांव व शहरों में जाकर मुस्लिम पर्सनल लॉ की जागरुकता फैलाएंगे। यह अभियान 23 अप्रैल से 7 मई तक चलेगा। संस्था की महिला विंग भी महिलाओं को उन्हें समझाएगी कि कुरान और सुन्नात की शिक्षा में परिवर्तन और संशोधन का हक किसी को नहीं।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा देशभर में शरीयत अदालतें कायम की जाएंगी और काउसिलिंग सेंटर भी खोलेंगे जिनमें 3 तलाक, निकाह, विरासत और मुस्लिम पर्सनल लॉ से संबंधित मामले सुलझाए जाएंगे। जब उनसे भारतीय संविधान और न्यायपालिका पर भरोसे का सवाल पूछा गया तो वह बोले अदालतों में हजारों पैंडिंग मामले हैं इसलिए शरीयत अदालतें जल्दी न्याय दिलाएंगी। इससे हम अदालतों का काम आसान करेंगे।

उन्होंने बताया कि पोस्टर, हैंडबिल, जनसभाएं और प्रचार सामग्री के जरिए देश की 5 करोड़ आबादी तक पहुंचने की योजना है। मदरसों के उस्ताद और इमाम को भी समझाएंगे। पत्रकारवार्ता में जमायते इस्लामी के प्रदेश अध्यक्ष हामिद बेग भी मौजूद थे।

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