राजनगर SDM के रीडर ने किसान के 45 हजार रुपए हड़प लिए: शिकायत

रामकुमार/छतरपुर। बीते रोज भवानीदीन कुशवाहा पुत्र बारेलाल कुशवाहा निवासी ग्राम गुडपारा थाना सटई तहसील राजनगर का रहने वाला है। उसने जनसुनवाई में जिला कलेक्टर रमेश भंडारी, जिला पुलिस अधीक्षक ललित शाक्यवार को एक लिखित शिकायती पत्र दिया। जिसमें उसने उल्लेख किया है कि राजनगर एसडीएम के रीडर अंसारी बाबू द्वारा उसकी जमीन का नामांतरण कराने के एवज में 45 हजार रुपए की राशि दो गवाहों के बीच में दी गई थी परंतु उसका नामांतरण आज तक नहीं हुआ और उल्टा उसकी फाइल कार्यालय से गायब कर दी गई। 

अपनी नाबालिग बच्ची के साथ किसान भवानीदीन कुशवाहा कलेक्टर से गुहार लगाते हुए बताया कि उसने वर्ष 1996 में उक्त भूमि खसरा नंबर 73/1 रकवा 2.23 हे.लक्षमन तनय चिरुवा चमार से रजिस्ट्रर्ड विक्रय पत्र से खरीदी थी। जिसका नामांतरण भी नायब तहसीलदार द्वारा प्रकरण क्रमांक 50/अ-6/1997-98 में पारित आदेश दिनांक 23/10/1999 को किया गया था। वर्ष 2007-08 में उक्त भूमि उसके परिवार के नाम दर्ज की। परंतु वर्ष 2009 में उसका नाम काटकर विक्रेता लक्षमन अहिरवार का नाम जोड़ दिया गया। 

जिसके लिए उसने रिकार्ड सुधार का आवेदन तहसीलदार के यहां दिया था परंतु वह आवेदन तहसीलदार द्वारा निरस्त कर दिया गया। इसी बीच राज्य शासन द्वारा एक आदेश आया था कि अनुसूचित जनजाति के लोगों की जमीन जिन लोगों ने खरीद ली है वह 10 प्रतिशत की राशि जमा कर अपने नाम नामांतरण करा सकते हैं। उसी के तहत एसडीएम के रीडर अंसारी बाबू ने किसान से 45 हजार रूपए ले लिए परंतु न तो कोई रसीद दी और न ही नामांतरण किया। पूरा मामला अनुविभागीय अधिकारी सोनिया मीना के पास पहुंचा। 

उन्होंने प्रकरण तहसीलदार को भेज दिया। राजनगर तहसीलदार ने प्रकरण क्रमांक 1066/बी-121/215-16 में दर्ज किया और अनुविभागीय अधिकारी के यहां प्रकरण आदेश के लिए भेज दिया। एसडीएम के रीडर ने किसान से कहा कि एक दो दिन में अपना आदेश ले जाना उसके बाद एसडीएम के रीडर द्वारा किसान को लगातार 6 माह से गुमराह करता रहा और कहता रहा कि वह तुम्हारा आदेश करा देगा। न तो किसान का आदेश कराया और न ही उसके रुपए वापस किए। भवानीदीन कुूशवाहा ने बताया कि उसने व्याज पर पैसा उठाकर रीडर को दिए थे। बंजर जमीन को वह बीस साल से लगातार जोत रहा है और उसका कब्जा भी है परंतु अचानक बिना किसी सक्षम अधिकारी के उसकी जमीन में लक्षमन का नाम अंकित कर दिया गया और वह लगातार एसडीएम कार्यालय में चक्कर लगाता रहा। 

बेवश होने के बाद उसने कलेक्टर और एसपी से प्रकरण की निष्पक्ष जांच करो की मांग की और रुपए वापस दिलाने की मांग की। गौरतलब हो कि राजनगर एसडीएम कार्यालय में अंसारी बाबू विगत 20 वर्षों से जमा हुआ है जो भोले भाले किसानों के साथ हमेशा छल पूर्वक उनसे रुपए ऐंठ लेता है। कभी एसडीएम के नाम से तो कभी तहसीलदार के नाम पर यह लगातार वसूली कर रहा है। आईएएस अधिकारी सोनिया मीना को इस रीडर के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना चाहिए। हालांकि छतरपुर कलेक्टर रमेश भंडारी ने पूरे प्रकरण की जांच करने के आदेश दे दिए हैं। यदि बाबू दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। 

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