शिवराज सिंह के विश्वस्तरीय नर्मदा सेवा यात्रा पर गंभीर सवाल | NARMADA SEVA YATRA

भोपाल। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने आज मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के महत्वाकांक्षी विश्वस्तरीय नर्मदा सेवा यात्रा पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया। उधर सीएम दावा कर रहे हैं कि यह दुनिया का सबसे बड़ा नदी संरक्षण अभियान है इधर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) इस बात से नाराज है कि सरकार अब तक नदी किनारे स्थित डेयरियों की शिफ्टिंग के लिए कोई रणनीति तक नहीं बना पाई है। नदी लगातार गंदी हो रही है और सरकार बेपरवाह है। अब एनजीटी ने अगले एक हफ्ते में योजना की जानकारी मांगी है। बता दें कि इस संदर्भ में आदेश पूर्व में ही जारी हो चुके हैं। अब तो अवमानना का विषय सामने आ गया है। 

जानें पूरा मामला...
नर्मदा नदी में अलग-अलग कारणों से हो रहे प्रदूषण की रोकथाम के लिए गुरुवार को एनजीटी में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ कंसल्टेटिव सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील के साथ ही वन, कृषि, पशुपालन विभाग और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारी मौजूद थे। बैठक में अधिकारियों ने विभागों द्वारा नर्मदा को प्रदूषण से बचाने के लिए अभी तक की गई कार्रवाई की जानकारी दी। कृषि विभाग की ओर से बताया गया कि पिछले साल नर्मदा नदी के किनारे स्थित 7 जिलों में 20 हजार हैक्टेयर जमीन जैविक खेती के लिए चिह्नित की गई थी, लेकिन इसमें से 10 हजार हैक्टेयर में ही काम हो सका है। इस साल भी 20 हजार हैक्टेयर जमीन को चिन्हित किया गया है। हालांकि अधिकारी इस सवाल का सही तरह से जवाब नहीं दे सके कि केमिकल फर्टिलाइजर और आर्गेनिक फर्टिलाइजर की कीमत में कितना अंतर आता है। किसान यदि आर्गेनिक फर्टिलाइजर का उपयोग करता है, तो उसे कितने समय में फायदा होगा। ज्यूडिशियल मेंबर जस्टिस दलीप सिंह ने कृषि विभाग को निर्देश जारी कर किसानों के बीच जैविक खेती के लिए जागरुकता अभियान चलाने को कहा।

नदी के किनारे स्थित डेयरियों की शिफ्टिंग में लगेंगे दो साल
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हरियाली चुनरी योजना के तहत नर्मदा नदी के किनारे से 1 किमी तक 658.67 हैक्टेयर जमीन पर पौधारोपण किया जा रहा है। इसके लिए 16 वनमंडल को चुना गया है। वहीं, पशुपालन विभाग की ओर से बताया गया कि नदी के किनारे स्थित डेयरियों की शिफ्टिंग दो साल में पूरी कर ली जाएगी। इसी तरह शहरी विकास विभाग ने बताया कि नदी के किनारे 18 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का प्रस्ताव है। इसमें से महेश्वर और नसरुल्लागंज में एसटीपी के लिए टेंडर जारी हो चुके हैं। बाकी के लिए 30 अप्रैल तक टेंडर जारी करने का लक्ष्य रखा गया है। इस दौरान नर्मदा वेली विकास प्राधिकरण अपनी योजनाओं की जानकारी सही तरह से नहीं दे सका।

एनजीटी ने पूछा-यात्रा के बाद होने वाले कचरे का मैनेजमेंट कैसे कर रहे
सीपीसीबी ने बताया कि नर्मदा नदी की 11 लोकेशन पर अमरकंटक से लेकर अलीराजपुर तक पानी की मॉनीटरिंग की जा रही है। नदी के किनारे स्थित 11 इंडस्ट्रीज को चिह्नित किया है, जो प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। बैठक में एनजीटी ने राज्य सरकार से यह भी जानकारी मांगी है कि नदी से जो वनस्पति हटाकर किनारे पर रख दी गई हैं, उसका उपयोग किस तरह से किया जा रहा है। साथ ही ट्रिब्यूनल ने पूछा कि विभिन्न सामाजिक व धार्मिक यात्रा के बाद होने वाले कचरे के प्रबंधन के लिए क्या उपाए किए जा रहे हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 8 मई को होगी।

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