जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पीएससी द्वारा आयोजित स्टेट एलीजिबिल्टी टेस्ट (स्लेट) का रिजल्ट घोषित करने पर 28 फरवरी को लगाई गई रोक हटा ली है। यह आदेश पीएससी की ओर से स्टे हटाए जाने की मांग संबंधी अर्जी पर गौर करने के बाद उठाया गया। इसी के साथ राज्य के 45 हजार आवेदकों ने राहत की सांस ली। मामला असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिए आयोजित प्रारंभिक योग्यता परीक्षा से संबंधित है। न्यायमूर्ति वंदना कासरेकर की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (पीएससी) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत सिंह ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि पुष्पराज सिंह सहित सातों आवेदकों ने स्वयं स्लेट परीक्षा-2017 दी है।
उन्होंने हाईकोर्ट की शरण लेकर यह आरोप लगाया है कि स्लेट परीक्षा-2017 का आयोजन कर रही पीएससी द्वारा यूजीसी की गाइडलाइन का ठीक से पालन नहीं किया गया है। इस वजह से असिस्टेंट प्रोफेसर के 21विषयों के पदों की भर्ती के प्रारंभिक चरण यानी स्लेट परीक्षा का रिजल्ट घोषित करने पर रोक लगा दी जाए।
हाईकोर्ट की एकलपीठ ने इस मांग को मंजूर करते हुए 28 फरवरी को जारी अंतरिम आदेश के जरिए स्लेट-2017 का रिजल्ट घोषित करने पर रोक लगा दी थी। इस वजह से प्रदेश के 45 हजार आवेदकों का भविष्य अधर में लटक गया है। लिहाजा, रोक हटाई जानी चाहिए।
हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर नए सिरे से विचार करने के बाद पीएसी का निवेदन स्वीकार करते हुए रिजल्ट की घोषणा पर रोक हटा ली। कोर्ट ने साफ किया कि स्लेट-2017 का ताल्लुक महज योग्यता परीक्षा से है न कि भर्ती प्रक्रिया से, इसलिए स्टे हटाए जाने योग्य है।