MPPSC: हाईकोर्ट का फैसला, या तो नौकरी दो या 10-10 लाख हर्जाना

जबलपुर। हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपी पीएससी) की रिट अपील खारिज करते हुए कहा कि या तो याचिकाकर्ताओं को एडीपीओ पद पर नियुक्ति दी जाए अन्यथा 10-10 लाख रुपए हर्जाना चुकाया जाए। मामला 2010 में आयोजित परीक्षा के प्रश्नपत्र और मॉडल आंसरशीट में गड़बड़ी को लेकर आवेदकों द्वारा उठाई गई आपत्ति से संबंधित था। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व जस्टिस जेपी गुप्ता की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान पीड़ित आवेदकों रविशंकर अग्रवाल, अनुपम जैन, नीलेश सिंह, उल्लास सिंह, आशीष अग्निहोत्री, गौरव शर्मा, राजेश दुबे, महेन्द्र प्रताप सिंह, भीष्म प्रताप सिंह व विभव कुमार की ओर से अधिवक्ता केसी घिल्डियाल ने पक्ष रखा।

भटक रहे आवेदक
उन्होंने दलील दी कि दस आवेदकों ने पीएससी द्वारा वर्ष 2010 में आयोजित सहायक जिला अभियोजन अधिकारी (एडीपीओ) परीक्षा में भाग लिया था। उनकी मुख्य आपत्ति यह भी कि एडीपीओ परीक्षा के प्रश्नपत्र के अलावा मॉडल आंसरशीट में गड़बड़ी थी। इसी वजह से उनका चयन नहीं हो पाया। यदि गलत आंसर वाले प्रश्नों के अंक जोड़कर नए सिरे से मूल्यांकन किया जाता तो वे चयनित होकर नौकरी पा जाते। जब पीएसी के स्तर पर गलती नहीं सुधारी गई तो हाईकोर्ट की शरण ली गई। हाईकोर्ट की मुख्यपीठ जबलपुर के अलावा खंडपीठ ग्वालियर ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आवेदकों के हक में आदेश पारित किया। इसके तहत पीएससी को अपनी गलती सुधाकर नए सिरे से चयन-सूची जारी करने निर्देश दिए गए।

शुरू की बहानेबाजी- अधिवक्ता केसी घिल्डियाल ने तर्क दिया कि पीएससी ने याचिकाओं पर सुनाए गए पूर्व आदेश का पालन करने के स्थान पर 7 वर्ष से भटक रहे आवेदकों को और परेशान करने की मंशा से रिट अपील दायर कर दी। जिसकी सुनवाई के दौरान पीएससी सरासर झूठा शपथपत्र पेश करके यह बहानेबाजी कर रही है कि मॉडल आंसरशीट जला दी गई हैं, इसलिए नए सिरे से मूल्यांकन कर चयन-सूची जारी करना संभव नहीं।

हाईकोर्ट ने लगाई फटकार
हाईकोर्ट ने इस जानकारी को रिकॉर्ड पर लेकर पीएससी को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने आश्चर्य जाताते हुए कहा कि जब मामला कोर्ट में था तो ऐसे-कैसे जला दी शीट? इसी के साथ कोर्ट ने अपने सख्त आदेश के कहा कि पीएससी अविलंब नए सिरे से ओएमआर शीट तैयार करे। यदि ओएमआर शीट तैयार होती है तो उसके आधार पर बढ़े हुए अंकों के तहत नियुक्ति दी जाए। यदि ऐसा नहीं होता तो फिर पीएससी अपनी गलती मानते हुए सीधे नियुक्ति दे। यदि यह भी संभव नहीं तो फिर प्रत्येक प्रभावित आवेदक को 10-10 लाख हर्जाना दिया जाए। इस मामले में कुल 10 आवेदक हैं। इसलिए प्रत्येक को 10 लाख के हिसाब से पीएससी को एक करोड़ हर्जाना चुकाना पड़ेगा।

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