व्यापमं घोटाला: फर्जी एडमिशन कराने वाले कोमल पांडे को 5 साल की जेल

भोपाल। राजधानी की विशेष अदालत ने मंगलवार को निजी मेडिकल कॉलेज में दाखिले के नाम पर झांसा देने वाली कोमल पांडे को 5 साल की कैद और 6 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश दिनेश प्रसाद मिश्रा ने कोमल को पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में डीन के फर्जी हस्ताक्षर कर एक मेडिकल छात्र से 28 लाख रुपए हड़पने का दोषी पाया। धोखाधड़ी के शिकार मेडिकल छात्र आदित्य वर्मा ने 20 अप्रैल 2012 को निशातपुरा थाने में लिखित शिकायत करते हुए बताया था कि उससे कोमल पांडे ने पीपुल्स कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर में प्रवेश दिलाने के नाम पर 28 लाख रुपए ले लिए हैं। रुपए दो किश्तों में दिए थे। कोमल ने उसे पीपुल्स कॉलेज के लेटरपेड पर फर्जी एडमिशन सर्टीफिकेट थमा दिया। सर्टीफिकेट में कॉलेज के डीन के हस्ताक्षर थे। पुलिस ने शिकायत के आधार पर जॉच की तो पता चला कि आरोपी ने डीमेड एडमीशन के नाम पर कई लोगों को ठगा था।

इस मामले में पुलिस ने कोमल पांडे और एक अन्य चिकित्सक ताहिर खान को आरोपी बनाकर धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा, जालसाजी और षडयंत्र का अपराध कायम किया था। मामले में चालान पेश होने के बाद सह आरोपी डॉ. ताहिर खान को हाईकोर्ट ने 9 फरवरी 2017 को आरोपी मुक्त कर दिया जबकि कोमल पांडे को दोषी पाते हुए जिला अदालत ने सजा सुनाई।

अदालत ने फैसले पर कहा
विशेष न्यायाधीश ने सजा सुनाते हुए कहा कि आरोपी कोमल पांण्डे को यह एकलौता मामला नहीं है। उसने चिकित्सा क्षेत्र से संबंधित प्रवेश प्रक्रिया की शुध्दता को न केवल दूषित किया है बल्कि चिकित्सा क्षेत्र के भावी विद्यार्थी आदित्य वर्मा के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। उसका अपराध पीड़ित छात्र के प्रति गंभीर अपराध है। आरोपी पांडे ने अपने ऐसे कृत्य से कितने मेहनतकश विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया होगा इसकी कल्पना कठिन है। आरोपी ने देश और प्रदेश की आर्थिक व शैक्षणिक आधारशिला पर कुठाराघात किया है इसलिए उसका अपराध क्षमायोग्य नहीं है।

हाइकोर्ट में व्यापमं घोटाले के तहत भेजा गया था केस
कोमल के खिलाफ इस मामले को व्यापमं घोटाले की सूची में शामिल करके हाईकोर्ट भेजा गया था। इसके बाद से ही व्यापमं मामलों के लिए गठित विशेष अदालत में सुनवाई की जा रही थी।

पांण्डे ने की है देश के कई शहरों में छात्रों से ठगी
कोमल पांण्डे ने डीमेट में एडमीशन के नाम पर देश के कई शहरों में अपना जाल बिछा रखा था। वह आलीशान कार में लाल बत्ती लगाकर घूमती थी। अपने आपको मानव अधिकार आयोग की राष्ट्रीय स्तर पर अधिकारी होना बताती थी। वह छात्रों और उनके परिजनों को इसी तामझाम के आधार पर फंसा लेती और प्राइवेट कॉलेजों के संचालकों से सीधा संबध होना दर्शाती। इसके लिए उसने कई कॉलेजों के फर्जी लेटर पेड तैयार रखरखे थे।

विश्वास दिलाने के लिए वह छात्रों और उनके परिजनों के सामने किसी भी कॉलेज के अंदर जाती और यह बताती कि उसने दाखिले से संबंधी सारी बातें तय कर ली हैं। फिर वहीं पर पैसों की मांग कर लेती। इस संबंध में कोमल के खिलाफ भोपाल, पिपरिया, जबलपुर, बैतूल, बिहार , झारखण्ड, राजस्थान ,उत्तरप्रदेश लगभग एक दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज किए गए। पूर्व में एडीजे गिरिबाला सिंह ने भी कोमल को इसी तरह के एक मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई है। आरोपी वर्तमान में भी भोपाल जेल में सजायाफ्ता कैदी है।

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