UP ELECTION REVIEW: एक भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं था, फिर भी मुसलमानों के बंपर वोट मिले

लखनऊ। यूपी चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत का जश्न जारी है। प्रदेश में 300 के पास का आंकड़ा छूने वाली बीजेपी के वोट बैंक में जबरदस्त इजाफा हुआ है। यूपी में बीजेपी को मिली जबरदस्त जीत के लिए विरोधी पार्टियां मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण की बात कह रही हैं लेकिन चुनाव में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार न उतारने वाली बीजेपी को मुस्लिम बाहुल्य वाले इलाकों में भी जबरदस्त वोट मिले हैं।

प्रदेश में मुस्लिमों का वोट करीब 19 फीसदी है। सभी पार्टियों ने जाति-धर्म के सियासी समीकरणों के आधार पर उम्मीदवार उतारे थे लेकिन बीजेपी ने किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया। बीजेपी ने हिंदू वोटों पर नजर रखी और हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण का फायदा बीजेपी को सीधे तौर पर मिला है। बीजेपी के इस दांव के पीछे भी वोटों का गुणा-गणित ही है।

बीजेपी ने चुपचाप दबी आवाज में आयोध्या में राम मंदिर बनाने की बात को फैलाया। पार्टी ने अपने चुनावी संकल्प पत्र में भी इसका जिक्र किया है। हालांकि वहां पार्टी ने संवैधानिक प्रक्रिया के तहत मंदिर बनाने की बात कही थी लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी के नेताओं ने मंदिर के मुद्दे को भुनाने की कोशिश की। यह संकेत देने की कोशिश की कि प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने से मंदिर बनाने की राह आसान हो जाएगी। बता दें कि बीजेपी के शासन के समय ही 1992 में बाबरी विध्वंस की घटना हुई थी। READ ALSO: ये है वजह, क्यों केशव मौर्य ही बन सकते हैं यूपी के सीएम?

बीजेपी ने अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट में योगी आदित्यनाथ जैसे फायर ब्रांड नेता को शामिल किया था। आदित्यनाथ ने ट्रिपल तलाक, राम मंदिर और कैराना के पलायन जैसे मुद्दों पर तीखी बयानबाजी की। आदित्यनाथ ने पश्चिमी यूपी में काफी प्रचार किया जहां विधानसभा चुनाव में सपा का दबदबा माना जा रहा था। पश्चिमी यूपी की ज्यादातर सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है। READ ALSO: पंजाब चुनाव 2017: 10 साल बाद कांग्रेस को मिली बड़ी जीत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों के लिए काफी चर्चित हैं और यूपी चुनाव में उनका यह अंदाज देखने को मिला। मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान कसाब (KASAB- कांग्रेस, सपा, बसपा) के सफाए की बात कही। इसके साथ ही गधे को लेकर भी काफी बयानबाजी हुई जिसमें बीजेपी ने सपा को उलझाए रखा। उन्होंने सब्सिडी से लेकर एलपीजी कनेक्शन तक के मुद्दे पर केंद्र सरकार की वाहवाही की और नोटबंदी पर विपक्ष को कटघरे में खड़ा किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश यादव सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सपा सरकार कब्रिस्तान के लिए जमीन दे सकती है तो श्मसान के लिए क्यों नहीं? प्रधानमंत्री ने कहा था, 'अगर सपा सरकार की नीयत सही होती तो श्मसान के लिए भी जगह दी जाती।' यह नहीं, उन्होंने प्रदेश में बिजली सप्लाई पर भी सवाल उठाया और कहा कि अखिलेश यादव मुस्लिम बहुल इलाकों में ईद पर खूब बिजली देते हैं लेकिन होली-दिवाली पर हिंदुओं के इलाकों में बिजली नहीं दी जाती। कहीं न कहीं यह मुद्दा भी बीजेपी के लिए असरदार साबित हुआ। प्रदेश में बिजली व्यवस्था का हाल बेहाल है।

यूपी चुनाव से पहले सपा में मचे घमासान और टिकट बंटवारे को लेकर हुई तकरार के बाद कांग्रेस से गठबंधन का असर दोनों पार्टियों के वोटबैंक पर पड़ा। मुस्लिम मतदाता सपा-कांग्रेस के साथ आने की वजह से बंटे और उनका कुछ जनाधार बसपा की ओर भी मुड़ा। मुस्लिम वोट बंटने से बीजेपी को फायदा मिला। माना जाता है कि अब तक मुस्लिम वोट किसी एक ही पार्टी के पक्ष में जाता रहा है जिससे पार्टी की जीत तय मानी जाती थी। लेकिन इस बार वोट बंटने गए। बीजेपी के दिग्गज नेता राजनाथ सिंह और मुख्तार अब्बास नकवी ने भी कहा था कि पार्टी को मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देना चाहिए था। हालांकि पार्टी अपने फैसले पर अडिग है। चुनाव में जीत के बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सफाई दी कि टिकट बंटवारे से पहले जो योग्यता देखी जा रही थी, उस आधार पर कोई उम्मीदवार फिट नहीं बैठा, इसलिए टिकट नहीं दिया गया।

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