तो क्या बौने लोगों का STATE बन जाएगा मध्यप्रदेश

भोपाल। मध्यप्रदेश में 42% बच्चों की हाईट उनकी उम्र के हिसाब से कम आंकी गई है। यह रिपोर्ट किसी एनजीओ की नहीं बल्कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की है। निश्चित रूप से यह एक गंभीर चेतावनी है परंतु सरकार वही घिसापिटा जवाब दे रही है जो 10 साल पहले दे रही थी। यदि हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले 25 सालों के बाद मध्यप्रदेश बौने लोगों का प्रदेश बन जाएगा। यहां देश में सबसे ठिगने लोग पाए जाएंगे। 

न्यूट्रीशियन नेेहा शर्मा का कहना है कि कुपोषण की वजह से बच्चों की लंबाई नहीं बढ़ रही है। दिन में छह बार भोजन लेना चाहिए, लेकिन बच्चों दिन में जो भी मिल रहा है वह खा रहे है। प्रदेश में प्रोजेक्ट तो कई चल रहे है, लेकिन बच्चों को प्रॉपर डाइड नहीं मिल रही है। सरकार कोई प्रोजेक्ट चलाए तो बच्चों में जल्दी रिकवरी हो सकती है।

प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने भी विधानसभा में एक सवाल के जवाब में माना है कि प्रदेश में बच्चों में शारीरिक विकास क्षमता विकसित नहीं हो रही है और इसी कारण से राज्य में बड़ी संख्या में बच्चे पैदा होने के बाद से ठिगनेपन का शिकार हो रहे है। इसका कारण कुपोषण है। स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह कहते हैं कि कुपोषण हमारा नहीं, महिला बाल विकास विभाग का विषय है।

वहीं, महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस का विधानसभा में रिकॉड किया गया बयान है कि पोषण का स्तर ठीक नहीं होगा तो बच्चे के स्वास्थ्य पर असर होगा। तीन साल के अंदर पर्याप्त प्रोटीन मिलने पर ही दिमाग और शरीर का विकास होगा। इस बात को ध्यान में रखकर महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग मिलाकर जनजागरण अभियान चला रहे है। 

बता दें कि इस तरह के अभियान पहले भी सरकार चलाती रही है परंतु नतीजा सबके सामने है। हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। यह स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं कि सिस्टम में मौजूद भ्रष्टाचार बच्चों का पोषण आहार खा रहा है। जब तक इसे आंदोलन नहीं बनाया जाएगा और सरकार पूरा ध्यान इस पर केंद्रित नहीं करेगी, कोई लाभ नहीं हो सकता। 

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