पुलिस ने कलेक्टर की पत्नी के NGO को बिना औपचारिकता स्टेडियम दे दिया

सौरभ खंडेलवाल/भोपाल। इसे पुलिस मुख्यालय की लापरवाही कहिये या कलेक्टर का रसूख। दिसंबर में भोपाल कलेक्टर निशांत वरबडे के एनजीओ द्वारा आयोजित 'रन भोपाल रन" के लिए राजधानी स्थित मोतीलाल नेहरू स्टेडियम दो दिन के किराए पर लिया गया था, लेकिन पुलिस मुख्यालय को नहीं पता था कि वह स्टेडियम किसे किराए पर दे रहा है। दरअसल, रन भोपाल रन एनजीओ ने स्टेडियम किराए पर लेने के लिए जो आवेदन दिया था, उसमें न तो आवेदन करने वाले का नाम था और न ही एनजीओ का कोई रजिस्ट्रेशन नंबर। नवदुनिया को सूचना के अधिकार के तहत स्टेडियम आवंटित करने संबंंधी दस्तावेज मिले हैं।

दस्तावेज बताते हैं कि एनजीओ भोपल रनर्स द्वारा स्टेडियम 3 और 4 दिसंबर को किराए पर लेने के लिए आवेदन किया गया था, लेकिन आवेदन पत्र में किसी व्यक्ति का नाम नहीं है। आमतौर पर जब भी कोई सरकारी संपत्ति किराए पर ली जाती है तो उसमें संस्था से जुड़े किसी व्यक्ति का नाम भी लिखवाया जाता है। यह आवेदन भोपाल रनर्स एनजीओ के लेटरपेड पर किया गया था, लेकिन उस पर इसका पंजीयन क्रमांक भी नहीं लिखा था।

फीस भरने का प्रमाण भी नहीं दिया
आरटीआई कार्यकर्ता नितिन सक्सेना ने पुलिस मुख्यालय से सूचना के अधिकार के तहत भोपाल रनर्स एनजीओ द्वारा दिए गए आवेदन पत्र और स्टेडियम का किराया भरने की प्रमाणित कॉपी भी मांगी थी, लेकिन पुलिस मुख्यालय ने सिर्फ आवेदन पत्र और मुख्यालय द्वारा एनजीओ को भेजा गया डिमांड पत्र भी उपलब्ध करवाया। स्टेडियम का किराया भरने का कोई प्रमाण मुख्यालय ने नहीं दिया। मुख्यालय ने दो दिन के लिए स्टेडियम के किराए के रूप में 25 हजार स्र्पए मांगे थे।

हाई अलर्ट जोन में हुई लापरवाही
आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे के मुताबिक जब इस एनजीओ को स्टेडियम किराए पर दिया गया, उस वक्त सिमी जेल ब्रेक कांड हो चुका था और पुलिस मुख्यालय हाई सिक्युरिटी जोन में था। ऐसे में एनजीओ के पंजीयन नंबर और आवेदक के नाम के बिना स्टेडियम किराए पर देना मुख्यालय की लापरवाही साबित करता है।

किसका है एनजीओ?
भोपाल रनर्स एनजीओ कलेक्टर निशांत वरबड़े की पत्नी अमिता सिंह का है। एनजीओ की वेबसाइट के मुताबिक खुद निशांत वरबड़े एनजीओ के फाउंडर प्रेसीडेंट हैं। इस एनजीओ ने दिसंबर में रन भोपाल रन मैराथन आयोजित करवाई थी। जो मोतीलाल नेहरू स्टेडियम से होती हुई वन विहार भी गई थी। वन विहार में ये मैराथन आयोजित करने को लेकर सेंट्रल जू अथॉरिटी भी आपत्ति जता चुकी है।

इनका कहना है
अनुमति मिलने के बारे में मैं कैसे बता सकता हूं। जिसने परमिशन दी, उससे पूछिए।
निशांत बरवड़े, कलेक्टर

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