नोटबंदी के फैसले नहीं बदलेंगे, कानूनी लड़ाई के लिए तैयार: MODI सरकार

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह नोटबंदी को लेकर जारी अध्यादेश को लेकर की गई कानूनी चुनौती से लडने के लिए तैयार हैं। सरकार ने साफ किया कि दबाव में आकर 500 और 1000 के पुराने नोटों को बदलने की सीमा बढ़ाने का उसका कोई इरादा नहीं है। केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ केसमक्ष कहा कि 500 और 1000 के पुराने नोटों को रखना अपराध है। यह गैरकानूनी है। 

मालूम हो कि गत सोमवार को पीठ ने इस संबंध में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा था। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वह जवाब देने की बजाए बहस करना चाहते हैं और आज भी वह बहस के लिए तैयार हैं। बहरहाल पीठ ने सुनवाई 21 अप्रैल तक के लिए टाल दी। 

शीर्ष अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है जिसमें सरकार और आरबीआई केउस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें पुराने नोटों के बदलने के पूर्व में तय की गई समय-सीमा को घटाने का निर्णय लिया गया था। याचिकाओं में कहा गया कि आखिरकार सरकार पूर्व में किए गए वायदों से कैसे मुंह मोड़ सकती है। 

मालूम हो कि शुरुआत में कहा गया था कि पुराने नोट 30 दिसंबर तक रिजर्ब बैंक सहितबैंकों में बदले जा सकेंगे। इसकेबाद 31 मार्च तक सिर्फ रिजर्ब बैंक में बदले जा सकेंगे। लेकिन बाद आरबीआई ने नई अधिसूचना जारी कर कहा कि एनआरआई या वैसे लोग जो उस दौरान देश केबाहर थे, ही 31 मार्च तक पुराने नोटों को बदल सकेंगे।

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