IAS जुलानिया हुए बदनाम: थेटे, नीलम के बाद बाथम भी नहीं करना चाहते थे काम

भोपाल। आईएएस अफसर रमेश थेटे और नीलम राव के बाद अब वीके बाथम भी राधेश्याम जुलानिया के साथ काम करने को तैयार नहीं थे। मुख्य सचिव बीपी सिंह ने पर्सनली बुलाकर समझाया तब कहीं जाकर वो राधेश्याम जुुलानिया के साथ बतौर प्रमुख सचिव काम करने को तैयार हुए। बता दें कि वीके बाथम के रिटायरमेंट को केवल 4 माह बचे हैं। शायद वो नहीं चाहते थे कि जाते जाते उनका नाम किसी पंगे में आए। 

गौरतलब है कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में पहले आईएएस रमेश थेटे और जुलानिया के बीच शीतयुद्ध चल रहा था। जुलानिया के विरुद्ध थेटे की कथित टिप्पणियों के बाद राज्य सरकार ने एसीएस की सिफारिश पर थेटे को वहां से हटाया तो उनके बाद यहां आईएएस नीलम शमी राव को प्रमुख सचिव बनाया था लेकिन राव की भी जुलानिया से पटरी नहीं बैठी। राज्य सरकार ने पिछले माह नीलम शमी राव को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के दायित्व से मुक्त कर उन्हें आयुक्त एवं प्रमुख सचिव सामाजिक न्याय बनाया था। 

जुलानिया के साथ काम करने से बेहतर है समाजसेवा करके टाइम काट लें
नीलम का विभाग बदलने के लिए सरकार ने बीके बाथम को सामाजिक न्याय विभाग से हटाते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की जिम्मेदारी सौंप दी थी। रिटारयमेंट में कुछ समय ही बाकी रहने के कारण बाथम यहां से नहीं जाना चाहते थे। वे सामाजिक न्याय विभाग में रहकर नि:शक्तजनों के लिए काम करने के इच्छुक थे। 

छुट्टी लेकर जाने का मन बना लिया था 
उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग कार्मिक की सचिव रश्मि अरुण शमी और मुख्य सचिव बीपी सिंह से मुलाकात कर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि यदि उन्हें सामाजिक न्याय विभाग की जिम्मेदारी नहीं दी गई तो वे पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में प्रमुख सचिव की जिम्मेदारी नहीं संभालेंगे। ज्यादा दबाब बनाए जाने पर उन्होंने छुट्टी पर जाने की चेतावनी दी थी। इसके बाद मुख्य सचिव बीपी सिंह ने उन्हें चर्चा के लिए बुलाया था। सीएस की समझाइश के बाद बाथम पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की जिम्मेदारी संभालने को तैयार हो गए है। उन्होंने कामकाज संभाल लिया है।

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