नदियों को दिया जीवित इंसान का दर्जा, सफाई ना हुई तो सरकार भंग: HIGH COURT

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गंगा को लेकर अबतक का सबसे बड़ा फैसला लिया है। अबतक गंगा सफाई और उसकी स्वच्छता को लेकर ढुलमुल चल रही राज्य और केंद्र सरकारों को आड़े हाथों लेते हुए उन्हें जल्द कुछ फैसले पर अमलीजामा पहनाते हुए काम करने के निर्देश दिए हैं।उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गंगा नदी को भारत की पहली जीवित मानव (लिविंग पर्सन) की संज्ञा दी है। 

न्यायालय ने असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार को अनुच्छेद 365 के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा जिम्मेदारियों का पालन नहीं किया गया तो ऐसे में राज्य सरकार को हाई कोर्ट भंग भी कर सकता है।

कोर्ट ने कहा है कि सरकार को गंगा और यमुना नदी को मनुष्य की तरह ही सारे अधिकार देने चाहिएं। देश में ऐसा पहली बार हुआ है जब इस तरह का फैसला किसी कोर्ट ने नदियों को लेकर सुनाया है। इससे पहले केवल न्यूजीलैंड में ही नदी को इस तरह का दर्जा दिया जाता है। कोर्ट ने कहा है कि इस सबका पूरा ब्लू प्रिंट तैयार करके सरकारें काम करें।

निर्देश देते हुए न्यायालय ने केंद्र सरकार को साफ शब्दों में कहा है कि 8 सप्ताह में गंगा मैनेजमेंट बोर्ड बनाएं। इसके साथ ही मुख्य सचिव, महानिदेशक और महाधिवक्ता को किसी भी वाद को स्वतंत्र रूप से न्यायालय में लाने के लिए अधिकृत किया है। इसके साथ ही न्यायालय ने देहरादून के जिलाधिकारी को ढकरानी की शक्ति नहर से 72 घंटे में अतिक्रमण हटाने और असफल होने पर बर्खास्त करने के आदेश दिए हैं।

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