मुम्बई। हाईकोर्ट ने फडणवीस सरकार के इस आदेश को अवैध करार दिया है जिसमें ऑटो रिक्शा के परमिट लेने के लिए मराठी भाषा बोलने को अनिवार्य बना दिया था। महाराष्ट्र सरकार ने दलील दी थी कि इससे उपभोक्ता को आसानी होगी। ऑटो चालक को स्थानीय भाषा का ज्ञान जरूरी है। ऑटो रिक्शा परमिट सिर्फ मराठी भाषी लोगों को दिए जाने का लेकर ये विवाद वर्ष 2015 में शुरू हुआ था जब सरकार ने दिवाली के तोहफे के तौर पर सरकार के 1 लाख नए ऑटो परमिट देने का निर्णय किया था।
सरकार का प्रयास मराठी भाषा की परीक्षा लेने का भी था। बता दे कि महाराष्ट्र में ऑटो परमिट जारी करने से पहले सरकार ने लिखित परीक्षा कराने का भी निर्णय लिया था जिसका लक्ष्य परमिट पाने वाले के मराठी भाषा के ज्ञान को जांचना ही था।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने बताया कि बीते वर्ष 7 हजार 843 ऑटो परमिट इश्यू किए गए थे जिसमें 5 हजार 303 परमिट गैर मराठी भाषी लोगों को दिया था, आंकड़ो के अनुसार सिर्फ मुंबई में 2 लाख लोग ऑटो रिक्शा चालक है जिसमें 70 फीसीदी ऑटो रिक्शा चालक यूपी और बिहार के हैं। हाई कोर्ट के इस निर्णय के बाद उत्तर भारत के लाखों ऑटो चालक राहत की साँस लेगें।