नक्सलवादी है दिल्ली विश्वविद्यालय का विकलांग प्रोफेसर, COURT ने दोषी करार दिया

गढ़चिरौली/महाराष्ट्र। दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे संस्थान में यदि आपको कोई दिव्यांग प्रोफेसर मिले तो निश्चित रूप से आपका सिर सम्मान में झुक जाएगा परंतु प्रोफेसर जीएन साईबाबा अदालत में नक्सलवादी प्रमाणित हुआ है। वो देश विदेशी में यात्राएं करके नक्सलवाद को बढ़ावा दे रहा था। हेम मिश्रा, प्रशांत राही, महेश तिर्की, पांडु नरोटे और विजय तिर्की उसकी मदद करते थे। सभी के अपराध प्रमाणित हुए हैं। उन्हें गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी पाया गया है। कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई है। 

विशेष लोक अभियोजक पी. साथियानाथन ने सभी छह दोषियों के लिए आजीवन कारावास की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य के आधार पर साईबाबा को किसी तरह की कोई छूट न दी जाए। उन्होंने बताया कि निशक्तता के बावजूद उन्होंने भारत और विदेश में कई सम्मेलनों और सेमिनारों में हिस्सा लिया है, जिनके जरिये उन्होंने कथित रूप से माओवादी विचारधारा का प्रचार-प्रसार किया है। इन आरोपों का बचाव पक्ष के वकील ने कोई प्रतिवाद नहीं किया।

हेम मिश्रा को महेश तिर्की और पांडु नरोटे के साथ गढ़चिरौली जिले के अहेरी से अगस्त, 2013 में गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ में उनसे मिले सुराग के आधार पर ही प्रशांत राही और विजय तिर्की को गोंडिया जिले के दियोरी से गिरफ्तार किया गया था। साईबाबा को महाराष्ट्र की गढ़चिरौली पुलिस ने मई 2014 में प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) का सदस्य होने, समूह के लिए नियुक्तियां करने और रसद मुहैया कराने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

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