पोषाहार के डिस्ट्रीब्यूशन से लेकर हितग्राहियों की लिस्ट तक हर कदम पर घोटाला: CAG का खुलासा

भोपाल। पोषाहार के सिस्टम में भारत सरकार के ऑडिटर जनरल (कैग) ने भी बड़े स्तर पर गड़बड़ियां पकड़ी हैं। असेंबली में शुक्रवार को टेबल हुई रिपोर्ट में कैग ने खुलासा किया है कि मध्य प्रदेश में पोषाहार के डिस्ट्रीब्यूशन में कई लेवल पर खामियां हैं। उसकी क्वालिटी और हितग्राहियों (बेनिफिशियरी) की संख्या में भी हेरफेर हुआ। कैग ने राज्य सरकार को नसीहत दी है कि वे प्रेगनेंट महिलाओं और बच्चों को आधार कार्ड से जोड़ें ताकि इनकी असल तादाद का पता चल सके। स्कीम सही तरीके से चलाने के लिए ICDS मिशन का गठन हो। कैग ने नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे (2015-16) के हवाले से कहा है कि कुल बच्चों की तादाद के मुकाबले राज्य में 9.2 फीसदी बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित थे जबकि, इसे 5 फीसदी तक लाना था। इसके पहले तो 12.5 फीसदी गंभीर कुपोषित बच्चे थे।

इसी तरह पांच साल से कम उम्र के कम वजन के बच्चों की मृत्यु दर भी कम नहीं हो सकी। जमीनी हालत खराब होने के बाद भी राज्य स्तर पर बनी मॉनिटरिंग और रिव्यू कमेटी की मीटिंग तक नहीं की गई। जिला या ब्लॉक लेवल पर ऐसी कमेटियां ही नहीं बनीं।

ये उठाए सवाल (आकलन 2011-12 से 2015-16 )
37 हजार 79 हितग्राहियों को एक दिन से लेकर 120 दिन तक पूरक पोषाहार नहीं मिला। 
पोषाहार की कम क्वांटिटी तैयार की गई। कई जगह डिस्ट्रीब्यूशन नहीं किया गया। हकदार बच्चों, प्रेगनेंट महिलाओं और मांओं को सप्लीमेंट्री पोषण आहार के दायरे से दूर रखा गया।
रतलाम के जावरा में THR (टेक होम राशन) के 2240 पैकेट एक्सपायरी डेट के दे दिए गए। यही हालत अलीराजपुर के कठीवाड़ा व मोरधा में 26 पैकेट, धार के नालछा 62 पैकेट, पन्ना के लमतारा में 20, रतलाम के मीनीपुरा में 81 पैकेट, सतना के मैहर में 17 और विदिशा के अटारीखेड़ा में 40 पैकेट एक्सपायरी डेट के मिले। 
THR का पैकेट बनाने वालों ने गेहूं और चावल का इस्तेमाल ज्यादा किया, जिससे एमपी एग्रो ने 15.57 करोड़ का फायदा गलत तरीके से लिया। 
5 साल तक 14 जिलों में स्व सहायता समूह का ऑडिट नहीं किया गया। 
400 से ज्यादा आंगनबाड़ियों में पंचनामा, सर्वे पंजी, पोषण आहार भंडार पंजी, ग्रोथ चार्ट नहीं मिला। 
विदिशा जिले के लटेरी में मार्च 2016 में 127 हितग्राहियों को दो साल से पोषाहार नहीं दिया गया।

सीएम को बता दिया है
वुमन एंड चिल्ड्रन डेवलप्मेंट डिपाटमेंट मिनिस्टर अर्चना चिटनीस ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के बारे में सीएम शिवराज सिंह चौहान को बता दिया गया है। विधि विभाग को भी फैसले की कॉपी भेजी गई है। विधि विभाग सभी पहलुओं को एग्जामिन करेगा। तब तक यह तैयारी कर रहे हैं कि इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में अपील करें। डिपार्टमेंट अपना काम कर रहा है। जब मामला कोर्ट में हो तो क्या कर सकते हैं?

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