बेरहम हमीदिया: स्ट्रेचर नहीं दी, गोद में उठाकर घर ले गया बेटे की लाश !

भोपाल। यदि मरीज के परिजन डॉक्टरों से ऊंची आवाज में बात भी कर दें तो डॉक्टर हड़ताल पर चले जाते हैं। जब तक परिजनों के खिलाफ एफआईआर और गिरफ्तारी ना हो जाए इलाज बंद रहता है परंतु यदि डॉक्टर बेरहम हो जाए तो कोई कार्रवाई नहीं होती। मामला वही बेरहम हो चुके हमीदिया अस्पताल का है। यहां घायल होकर आए विदिशा के एक बालक का 1 घंटे तक इलाज शुरू नहीं किया गया। उसकी मौत हो जाने के बावजूद ड्रिप चढ़ा दी गई। जब पेट फूला तो सब भाग गए। लाश को ले जाने के लिए स्ट्रेचर भी नहीं दी। 

बुधवार को राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल में एक बार फिर संवेदनहीनता का मामला सामने आया है। यहां एक पिता स्ट्रेचर न मिलने पर अपने बेटे के शव को गोद में लेकर घर के लिए चल पड़ा। विदिशा जिले के ग्राम सेमरा त्योंदा के रहने वाले रतिराम वंशकार के बेटे जितेंद्र(10) की देर रात मौत हो गई थी। वह मंगलवार शाम को पेड़ से गिर गया था। उसे गंभीर चोटें आई थीं। जितेंद्र को गंभीर हालत में हमीदिया रेफर किया गया था। यहां इलाज के दौरान देर रात उसकी मौत हो गई।

जितेंद्र की मौत के बाद अस्पताल ने उसका पोस्टमार्टम कराने की बात कही थी। हालांकि रतिराम ने पोस्टमार्टम से इनकार कर दिया। इस बीच जब उसे स्ट्रेचर नहीं मिला, तो वो बेटे का शव गोद में लेकर ही घर के लिए निकल पड़ा। हालांकि थोड़ी ही देर में उसे स्ट्रेचर मुहैया करा दिया गया। जितेंद्र की मां राजबाई ने रोते हुए अपनी पीड़ा सुनाई कि, जब वे अपने बेटे को इलाज के लिए हमीदिया लाए, तब उन्हें न तो स्ट्रेचर मिला और न समय पर इलाज। वे एक घंटे तक एक वार्ड से दूसरे वार्ड तक भटकते रहे। परिजनों का आरोप है कि नर्स ने बच्चे की मौत के बावजूद उसे ड्रिप चढ़ाई। जब उसका पेट फूलने लगा, तो स्टाफ घबराकर वहां से भाग लिया।
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हमें इस घटना की जानकारी मिली है। मालूम चला है कि मरीज को परेशानी हुई थी। हमने सुपरिटेंडेंट डॉ. दीपक मरावी से मामले की रिपोर्ट मंगाई है।'
एमसी सोनगरा डीन, गांधी मेडिकल कॉलेज

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