एक और अध्यापक असमय मर गया, लेकिन सरकार को क्या

मंडला। विख नारायणगंज के प्रा.शा.देहरा में कार्यरत सहायक अध्यापक झलकन सिंह पन्द्रो के आकस्मिक निधन से उसका परिवार बेसहारा हो गया है दिवगंत अध्यापक के परिवार में वृद्ध माता पिता पत्नी और दो छोटे छोटे बच्चे हैं। 18 वर्ष तक सरकार का नौकर रहने के बाद हर कर्मचारी के परिवार की तरह अध्यापक के परिवार की भी यह अपेक्षा रहती है कि ऐसे वक्त पर सरकार सहारा बनेे। अन्य कर्मचारियों की तरह अनुग्रह राशि मिले ग्रेच्युटी और बीमा की राशि मिले, पेंशन मिले और परिवार के सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति मिले। 

लम्बे संघर्ष के बाद दिवगंत अध्यापक के परिवार को 50 हजार अनुग्रह राशि मिलने का फरमान कुछ दिनों पहले ही जारी हुआ है सो इस परिवार को 50 हजार की राशि क्रिया करम के लिये मिल जायेंगें लेकिन बीमा राशि ग्रेच्युटी पेंशन और अनुकम्पा नियुक्ति अध्यापक परिवार के लिये अभी सपना ही है। अंशदायी पेंशन योजना कुछ वर्ष पहले ही प्रारंभ होने के कारण जमा राशि नाम मात्र की ही मिलने वाली है। अनुकम्पा नियुक्ति के नियम होने के बाद भी अनुकम्पा नियुक्ति नहीं मिल सकती क्योंकि अनुकम्पा भृत्य या अन्य पद पर न होकर सिर्फ संविदा शिक्षक के पद पर मिलती है। उसके लिये हायर सेकेण्डरी में 50 प्रतिशत से अधिक अंक के साथ व्यापम की परीक्षा उत्तीर्ण होने और डी.एड होना जरूरी है। 

सरकार ने अनुकम्पा नियुक्ति के बदले 1 लाख रूपये देने का तुच्छ नियम जरूर बनाया है जिसे प्रदेश के किसी भी दिवगंत अध्यापक के परिवार ने अब तक कुबूल नहीं किया है क्योंकि इस मंहगाई के जमाने में इससे जीवन और परिवार नहीं चल सकता है ऐंसें परिवारों को इंतजार है नियमों में बदलाव का कि अन्य सरकारी नौकरों की भांति यहां भी एक दिन बदलाव आयेगा। राज्य अध्यापक संघ की जिला इकाई ने सरकार की नीतियों पर अफसोस जताते हुये इस असहाय परिवार को तात्कालिक सहारा देने का मन बनाया है ज्ञातव्य हो कि कुछ माह पूर्व घुघरी विकासखण्ड के दिवगंत अध्यापक परिवार के लिये एक लाख की राशि संघ की जिला इकाई ने जुटाई थी। 

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