अटेर विधानसभा: ब्राह्मणों की गोलबंदी से घबराए शिवराज सिंह और अरविंद भदौरिया

भोपाल। अटेर विधानसभा सीट पर चुनाव दो पार्टियों के बीच नहीं बल्कि ब्राह्मण और ठाकुरों के बीच होते हैं। इस बार भाजपा ने 2013 में हारे हुए अरविंद भदौरिया को वापस मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस ने स्व. सत्यदेव कटारे के पुत्र हेमंत कटारे को टिकट दिया है। अरविंद भदौरिया ने काफी पहले से चुनावी तैयारियां शुरू कर दीं थीं। शिवराज सिंह भी लगातार काम कर रहे थे परंतु अब जबकि मतदान की तारीख पास आ रही है, उनकी सारी कोशिशें मटियामेट होती नजर आ रहीं हैं। अटेर का ब्राह्मण अरविंद भदौरिया के खिलाफ गोलबंद हो गया। घबराए शिवराज सिंह ने मंत्री गोपाल भार्गव को भेजा है। ताकि वो ब्राह्मण समाज को समझाएं और अरविंद भदौरिया को वोट दिलाएं। 

भिंड के अटेर और उमरिया के बांधवगढ़ में 9 अप्रैल को उपचुनाव होना है। बीजेपी के लिए भिंड की अटेर सीट जहां कांग्रेस से छीनना है, तो वहीं उमरिया की बांधवगढ़ सीट को बचाए रखने की चुनौती है। यूपी के परिणामों के बाद सहज अंदाजा लगाया जा रहा है कि प्रदेश में सत्ताधारी दल इन दोनों चुनौतियों को कैसे भी पार कर लेगी। पर हकीकत ये है कि इन चुनौतियों को पार करने में बीजेपी को पसीने छूट रहे हैं। खासकर कांग्रेस विधायक और नेता प्रतिपक्ष रहे सत्यदेव कटारे के निधन के बाद खाली हुई भिंड की अटेर सीट जीतना बीजेपी के लिए मुश्किल नजर आ रहा है। 

अटेर में हेमंत कटारे को टिकट दिए जाने से पैदा हुई सहानुभूति लहर बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा कर रही है। बीजेपी सूत्रों की ही मानें तो ब्राह्मण बाहुल्य अटेर विधानसभा सीट में कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बन रहा है और बीजेपी को सीट अपने कब्जे में करना मुश्किल नजर आ रहा है। हालात यह बन गए कि अकेले ही सारे चुनाव जीत लेने वाले शिवराज सिंह चौहान को मजबूरन ब्राह्मण मंत्री पंडित गोपाल भार्गव को स्टार प्रचारक बनाकर भेजना पड़ रहा है। 


अटेर सीट पर नजर डालें तो 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सत्यदेव कटारे ने बीजेपी के अरविंद भदौरिया को करीब 13 हजार वोटों से करारी शिकस्त दी थी। अरविंद भदौरिया ने 2008 में इसी सीट से सत्यदेव कटारे को हराया था, लेकिन उन्होंने 2013 के चुनाव में जब माहौल बीजेपी मय था, तब बीजेपी को करारी शिकस्त दी थी। शानदार जीत के साथ सत्यदेव कटारे को कांग्रेस ने नेता प्रतिपक्ष भी बनाया, लेकिन बीमारी के चलते कटारे कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और उनका निधन हो गया। अब कांग्रेस ने उनके बेटे हेमंत कटारे को अटेर से उम्मीदवार बनाया है। जबकि भाजपा ने सत्यदेव कटारे से हार चुके अरविंद भदौरिया को फिर से उतारा है। भदौरिया को नुक्सान इस बात का भी है कि 2013 से लेकर अब तक वो कभी अपनी विधानसभा में लोगों के बीच नहीं गए। 

अटेर सीट के चुनावी माहौल की बात करें तो 2003 में भिंड की अटेर सीट से बीजेपी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े मुन्नालाल भदौरिया टिकट के दावेदार थे। वहीं दूसरी तरफ 2008 में अटेर से विधायक रहे और 2013 में सत्यदेव कटारे से चुनाव हारे अरविंद भदौरिया भी दावेदार थे। पार्टी ने अरविंद भदौरिया को टिकट देने का मन बना लिया था, ऐसे में मुन्नालाल की नाराजगी को कम करने के लिए उन्हें लालबत्ती सौंपी गयी। खबर मिल रही है कि भले ही मुन्नालाल भदौरिया ने लालबत्ती हासिल कर ली है, पर वो भितरघात कर सकते हैं। 

दूसरी बड़ी खबर है कि ब्राह्मण मतदाताओं ने बीजेपी को साफ तौर पर कह दिया है कि सत्यदेव कटारे सिर्फ 13 हजार से जीते थे, उनके बेटे को 20 से ज्यादा मतों से जिताने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ेंगे। ऐसे में मुश्किल में नजर आ रही बीजेपी के पास ब्राह्मण मतदाताओं को रिझाने के लिए तरह-तरह के जतन करने पड़ रहे हैं। मंत्री गोपाल भार्गव ने दो दिनों में जहां अटेर के ब्राह्मण मतदाताओं और नेताओं से कई मीटिंग की है। वहीं उन्होनें ब्राह्मण बाहुल्य इलाकों में पार्टी के पक्ष में प्रचार किया है। गोपाल भार्गव दोबारा भी भिंड की अटेर सीट पर प्रचार करने जाने वाले हैं।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !