कैंसर पीड़ित करोड़पति कारोबारी की प्रॉपर्टियां बिक गईं, फिर भी लंगर चालू है

चंडीगढ़। इनका नाम है 82 वर्षीय जगदीश लाल आहुजा। इन्हें लोग बाबा और इनकी पत्नी को जय माता दी के नाम से जानते हैं। 80 साल का ये बुजुर्ग पत्नी के साथ मिलकर रोज 1000 लोगों का पेट भरता है। 17 साल से ये इंसान पीजीआई के बाहर दाल, रोटी, चावल और हलवा बांट रहा है, वो भी बिना किसी छुट्टी के। जो लोग उन्हें जानते हैं, वह कहते हैं कि आहुजा ने एक से डेढ़ हजार लोगों को गोद ले रखा है।

ऐसा माना जाता है कि जब तक आहुजा जिंदा हैं, तब तक पीजीआई का कोई मरीज रात में भूखा नहीं सो सकता। वर्ष 2001 से लगातार वे पीजीआई के बाहर लंगर लगा रहे हैं। हर रात 500 से 600 व्यक्तियों का लंगर तैयार होता है। लंगर के दौरान आने वाले बच्चों को बिस्कुट और खिलौने भी बांटे जाते हैं। मजबूरों का पेट भरने के लिए वे अपनी कई प्रॉपर्टी भी बेच चुके हैं।

आहुजा बताते हैं कि साल 2001 में जब वे बीमार हुए थे तो उस दौरान पीजीआई में एडमिट थे। बड़ी मुश्किल से जीवन बचा था। उसके बाद से पीजीआई में लंगर लगा रहे हैं। पहले वे दो हजार से ज्यादा लोगों के लिए खाना लाते थे। उनकी देखा-देखी कई लोग पीजीआई के बाहर लंगर लगाने लगे। इससे उनके यहां आने वाले लोगों की संख्या कम हो गई है।

आहुजा कहते हैं कि सर्दी हो या गर्मी लेकिन कभी भी उनका लंगर बंद नहीं हुआ। आहुजा की उम्र 82 साल हो चुकी है। पेट के कैंसर से पीड़ित हैं। ज्यादा दूर चल नहीं पाते। इसके बावजूद लोगों की मदद करने में उनके जज्बे का कोई मुकाबला नहीं है। मरीजों और जरूरतमंदों के बीच में वे बाबा जी के नाम जाने जाते हैं। कई जरूरतमंद मरीजों को वे आर्थिक मदद भी मुहैया कराते हैं।

आहुजा बताते हैं कि गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में भी उनका लंगर लगता है। यहां 200 मरीजों को खाना खिलाते हैं। खास बात यह है कि लंगर चलाने के लिए वे किसी से मदद नहीं लेते। आज तक उन्होंने इसे चलाने के ​लिए किसी से पैसे नहीं मांगे। उन्हें इस बात का भी श्रेय जाता है कि उनकी प्रेरणा से अन्य लोग भी अस्पताल के बाहर लंगर लगाने लगे हैं। इससे मरीजों को बहुत फायदा हुआ है।

पिछले साल उन्होंने एलान किया था कि वे लंगर को आगे चलाने की स्थिति में नहीं हैं। यदि कोई लंगर को गोद लेने चाहता है तो उनसे संपर्क कर सकता है। इस बीच भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय टंडन ने एलान कर दिया कि वे बाबा का लंगर खुद चलाएंगे, लेकिन इस एलान के बाद ही आहुजा ने कहा कि वे किसी को भी लंगर गोद नहीं देंगे। खुद ही चलाएंगे। अब उनका कहना है कि जब तक वे जिंदा हैं, तब तक लंगर चलता रहेगा।

आहुजा के लंगर का सिलसिला आज से 35 साल पहले उनके बेटे के जन्मदिन पर शुरू हुआ था। जन्मदिन पर उन्होंने सेक्टर-26 मंडी में लंगर लगाया। लंगर में सैकड़ों लोगों की भीड़ जुटी। खाना कम पड़ने पर पास बने ढाबे से रोटियां मंगाई। उसके बाद से मंडी में लंगर लगने लगा। जनवरी 2000 में जब उनके पेट का ऑपरेशन हुआ तो पीजीआई के बाहर लोगों की मदद करने का फैसला लिया। फिर से यह सिलसिला कभी रुका नहीं।

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