अटेर चुनाव: BJP को सूझ नहीं रही है ब्राह्मण गोलबंदी की काट

भोपाल। भिंड की अटेर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में भाजपा की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। एक दर्जन से ज्यादा मंत्रियों को भेजकर जातिवाद की राजनीति कर चुकी बीजेपी को सूझ नहीं रहा है कि आखिरकार इस सीट पर जीत के लिए कौन सा फार्मूला अपनाया जाए। अपनी ही पार्टी के भीतरघात से निपटने की चुनौती का सामना कर रही बीजेपी को ​ब्राह्मण विरोध का खौफ रह रहकर सता रहा है। बीजेपी यहां ब्राह्मण वोटर्स को तोड़ने के लिए अपने ब्राह्मण मंत्रियों का रोजाना दौरे करवा रही है। 

सत्यदेव कटारे के निधन के बाद उनकी विधवा मीरा कटारे ने चुनाव की कमान संभाली हुई है। वह क्षेत्र के हर गांव और इलाके में महिलाओं की टोली के साथ पहुंच रही हैं और अपनी झोली फैलाकर बेटे के लिए वोट मांग रही हैं। हाल ही में हुए उनके पति के निधन के कारण महिलाओं की भीड़ का उन्हें समर्थन मिल रहा है। महिलाएं उन्हें घेर लेती हैं और वो जब अपनी आंखों में आंसू लिए झोली फैलाकर समर्थन की अपील करती हैं तो महिलाओं की भावनाएं और सहानुभूति उनके साथ जुड़ रही हैं। 

यहां सत्यदेव कटारे की मृत्यु के बाद हेमंत के प्रति सहानुभूति तो है ही भाजपा प्रत्याशी अरविंद भदौरिया का विरोध भी कम नहीं है। 2013 में यहां से चुनाव हारने के बाद भदौरिया ने क्षेत्र की तरफ कभी मुड़कर भी नहीं देखा। भोपाल में भी अटेर के लोगों की कोई खास मदद नहीं की। वो अटेर की तरफ कुछ इस तरह देखते थे, जैसे अटेर के लोग उनके गुनहगार हैं और मौका मिलते ही भदौरिया, अटेन की जनता से बदला लेंगे। 

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