अनूपपुर की बेटी ANITA PRABHA: जिंदगी नर्क बन गई थी, फिर भी जिद से जीती जंग

भोपाल। यह कहानी है एक ऐसी लड़की की जिसकी 17 साल की उम्र में 27 साल के युवक से शादी करा दी गई। मां बाप बेटी को विदा करके फुर्सत हो गए, ससुराल की हालत भी दयनीय थी, फिर भी उसने हार नहीं मानी। पढ़ाई शुरू की और एक के बाद सीढ़ियां चढ़ते हुए अनीता प्रभा शर्मा मप्र शासन में डीएसपी बनने जा रही है। अनीता की जंग अभी रुकी नहीं है, वो डिप्टी कलेक्टर के लिए एमपीपीएससी की तैयारी कर रही है। 

मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले के कोतमा में 1992 में शर्मा परिवार में इनका जन्म हुआ। 10वीं कक्षा में उन्हें 92 प्रतिशत अंक मिले, क्योंकि माता-पिता दोनों सरकारी स्कूल में टीचर थे। जल्दी शादी होने की परम्परा को लेकर वे चिंतित थीं। बड़ी बहन की बहुत कम उम्र में शादी हो गई थी। लेकिन यह हठी लड़की आगे पढ़ना चाहती थी, इसलिए भाई के साथ रहने उन्हें ग्वालियर भेज दिया गया, जहां 12वीं तक पढ़ाई की। लेकिन 2009 में 17 साल की उम्र में वे पेरेंट्स के दबाव के आगे टूट गईं और उनकी शादी 10 साल बड़े व्यक्ति से कर दी गई। किंतु आर्थिक रूप से कमजोर ससुराल वालों ने उन्हें ग्रेजुएशन पूरा करने की इजाजत दे दी। 

ग्रेजुएशन पूरा करने में चार साल लगे, क्योंकि अंतिम साल की परीक्षा में वे इसलिए शामिल नहीं हो सकीं, क्योंकि पति का एक्सीडेंट हो गया था और उनके दोनों हाथ टूट गए थे। चूंकि वे तीन लगातार वर्षों में ग्रेजुएशन पूरा नहीं कर सकी थीं, इसलिए प्रोबेशनरी बैंक ऑफिसर की पोस्ट के लिए उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया। दूसरी तरफ परिवार को आर्थिक रूप से सहयोग करने के लिए उन्होंने क्विक ब्यूटीशियन कोर्स कर लिया और पार्लर में काम करने लगीं। 

इस कमाई ने उन्हें अपनी असंगत जीवन में भी व्यस्त बनाए रखा। असंगत इसलिए, क्योंकि धीरे-धीरे उन्हें अहसास हुआ कि उम्र के अंतर के कारण उनमें सामन्जस्य इतना अच्छा नहीं है। किंतु परिवार और पेरेंट्स की प्रतिष्ठा ने उन्हें इस जीवन में बनाए रखा। बिना नौकरी, बिना खुशहाल जीवन और बिना परिवार वालों के सहयोग के उन्होंने स्वतंत्र और आत्मनिर्भर जीवन के लिए 2013 में विवादों से घिरे व्यापमं की फॉरेस्ट गार्ड की परीक्षा दी। चार घंटे में 14 किलोमीटर की पैदल चलने की परीक्षा पूरी की और दिसंबर 2013 में बालाघाट जिले में पोस्टिंग मिल गई।

उनके लक्ष्य ऊंचे थे, इसलिए वे एक बार फिर व्यापमं की सब-इंस्पेक्टर पोस्ट की परीक्षा में शामिल हो गईं। हालांकि वे फॉरेस्ट गार्ड की नौकरी करती रहीं, लेकिन इस परीक्षा के फिजिकल टेस्ट में वे फेल हो गईं।

उन्होंने दूसरी बार प्रयास किया और कठिन फिजिकल टेस्ट पास कर सब-इंस्पेक्टर के लिए चुन ली गईं, जबकि दो महीने पहले ही उन्हें ओवरी में ट्यूमर के कारण सर्जरी करवानी पड़ी थी। फिर उन्होंने बतौर सूबेदार जिला रिजर्व पुलिस लाइन में जॉइन किया। ट्रेनिंग के लिए सागर भेजा गया, इसके बाद उन्होंने डिवोर्स की प्रकिया को भी आगे बढ़ाया। 

इस ट्रेनिंग के दौरान ही मध्यप्रदेश स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन परीक्षा के रिजल्ट आए, जिसमें वे पहले शामिल हुई थीं, इसमें वे डीएसपी सिलेक्ट हो गईं। पहले ही प्रयास में महिलाओं में वे 17वें स्थान पर आईं और सभी कैटेगरी में वे 47वें नंबर पर रहीं। वे भोपाल लौट आईं और सूबेदार रहते ही डीएसपी जॉइनिंग ऑर्डर का इंतजार करने लगीं, जो अभी आया नहीं है। हालांकि, वे डीएसपी पोस्ट से भी संतुष्ट नहीं थीं और ऊंची पोस्ट डिप्टी कलेक्टर के लिए एमपीपीएससी एग्जाम की तैयार करने लगीं। 

अप्रैल 2016 में उन्होंने यह परीक्षा पास कर ली और इसका इंटरव्यू हाल ही मार्च 2017 में हुआ है। वे रिजल्ट का इंतजार कर रही हैं। साथ ही वे डीएसपी जॉइनिंग ऑर्डर मिलने का भी इंतजार कर रही हैं। यह सबकुछ उन्होंने किया है, सिर्फ 25 साल की उम्र में। और यह उपलब्धियां उन्होंने हासिल की हैं बिना किसी मदद के। जिसमें उनके पेरेंट्स भी शामिल हैं। खराब शादी के कारण उनके बेटी के साथ अब बातचीत के संबंध भी नहीं हैं। फंडा यह है कि जीवन में गलतियां हो जाती हैं, लेकिन आप कितनी जल्दी इसे सुधारते हैं, यह बात आपको विवेकशील और दूरदर्शी बनाती है। 

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !