मध्यम वर्ग के लिए सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों की फीस मात्र 500 रुपए

नई दिल्ली। अब देश के मध्यम और निम्र मध्यम आय के लोगों को कानूनी सेवा आसान हो गया है। इस आयवर्ग समूह के लोगों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यम आय समूह योजना की शुरुआत की है। यह योजना इसलिए अहम है क्योंकि आम आदमी केलिए सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लडना बेहद मुश्किल है। क्योंकि वे मुकदमे पर होने वाले खर्च को वहन नहीं कर पाते। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट कई बार सुनवाई के दौरान यह कह चुका है कि शीर्ष अदालत आम आदमी की पहुंच से बाहर है। 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा शुरू की गई इस योजना के तहत 60 हजार रुपये प्रति महीने या साढ़े सात लाख प्रति वर्ष तक की आय वाले लोगों को कानूनी सहायता दी जाएगी। इस स्कीम के तहत नाममात्र शुल्क  अदा कर लोग कानूनी सहायता प्राप्त कर सकेंगे। एक सोसायटी केतहत इस योजना का संचालन होगा।

सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट की धारा-दो के तहत इस सोसायटी के प्रबंधन का दायित्व गवर्निंग बॉडी केसदस्यों के हाथों में होगा। भारत के प्रधान न्यायाधीश सोसायटी केसंरक्षक होंगे। अटॉर्नी जनरल पदेन उपाध्यक्ष होंगे। सॉलिसिटर जनरल मानद सचिव होंगे जबकि वरिष्ठï वकील इसके सदस्य होंगे। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट केनियम के तहत एडवोकेट ऑन रिकार्ड के द्वारा ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है। 

इस योजना केतहत मध्यम आय समूह केलोगों को कानूनी सहायता लेने के लिए सेवा शुल्क के तौर पर 500 रुपये मध्यम आय वर्ग कानूनी सहायता सोसायटी को अदा करना होगा। याचिकाकर्ता को सचिव द्वारा बताई गई फीस अदा करनी होगी। सचिव की ओर से याचिका दायर की जाएगी और याचिका को एडवोकेट ऑन रिकार्ड और बहस करने वाले वकीलों के पास भेज दिया जाएगा। एडवोकेट ऑन रिकार्ड यह तय करेगा कि इसे लेकर इस योजना के तहत आवेदक की याचिका दायर की जा सकती है या नहीं?

इस योजना का फायदा मध्यम आयवर्गीय लोगों को होगा जो सुप्रीम कोर्ट में मुकदमे का खर्च वहन नहीं कर सकते। योजना के मुताबिक, याचिका को लेकर होने वाले खर्च का वहन करने के लिए आकिस्मक निधि का गठन किया जाएगा। याचिका की स्वीकृति के स्तर पर आवेदकों को इस निधि केमद 750 रुपये जमा करना होगा। यह सोसायटी में जमा की रकम से अलग होगा। अगर एडवोकेट ऑन रिकार्ड को यह लगता है कि याचिका दाखिल करने केयोग्य नहीं है तो सोसायटी द्वारा लिए गए न्यूनतम सेवा शुल्क 750 रुपये के अलावा बाकी रकम आवेदक को लौटा दिए जाएंगे।

इतना ही नहीं योजना के तहत नियुक्त वकील अगर दिए गए कामों में लापरवाही बरतता है तो उसे आवेदक द्वारा ली गई फीस की रकम को लौटाना होगा। साथ ही उसे मामले से भी अलग होना होगा। इसकेअलावा उस वकील का नाम पैनल से हटा दिया जाएगा।

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