इत्तेफाक या घोटाला: 14 सांसदों ने 1 जनपद को 18 करोड़ सांसद निधि दी

भोपाल। देश बदल रहा है, किसी भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। संदेह इसलिए भी है कि भोपाल की बैरसिया जनपद पंचायत से जिस सांसद का कोई रिश्ता ही नहीं है, वो यहां विकास कार्यों के लिए सांसद निधि क्यों दे रहा है। 14 सांसदों ने 18 करोड़ रुपए की सांसद निधि दी है। बीते साल विधायक निधि घोटाले की गूंज शुरू हुई थी। बताया गया था कि एक कंपनी ने विधायकों को 25 प्रतिशत का आॅफर दिया था। बदले में विधायकों ने अपनी निधि से अपने अपने क्षेत्रों में टेंंकर खरीदने के लिए पैसे दे दिए। लोकल प्रशासन ने लघु उद्योग निगम को आदेशित किया और एलयूएन ने उसी कंपनी को टेंकर सप्लार्इ् का आॅर्डर दिया। हालांकि यह आरोप अभी तक सत्यापित नहीं हो पाया लेकिन सांसद निधि के संदिग्ध वितरण का मामला सामने आ गया। 

पत्रकार सिद्धार्थ माछीवाल की रिपोर्ट के अनुसार सांसदों ने बीते पांच सालों में अपने संसदीय और गृह जिलों को भी दरकिनार करते हुए बैरसिया जनपद को करीब 18 करोड़ रुपये की निधि दे दी। इस फेहरिस्त में दोनों पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के सांसद शामिल हैं। 2012 से 2016 के बीच जारी करीब डेढ़ सौ आदेशों में भारी-भरकम राशि उन कार्यों के लिए ग्राम पंचायतों को जारी हुई जिन कार्यों का हर साल पर्याप्त बजट रोजगार गारंटी सहित अन्य मदों से पंचायतों को जारी किया जाता है। इस स्थिति के बावजूद 50 से अधिक पंचायतों को 18 करोड़ से अधिक की जो राशि विभिन्न कार्यो के लिए दी गई उनमें से आधे काम खानापूर्ती के बतौर कराए जाना बताए गए है। इन में आधे काम ऐसे हैं जिनमें मनमाने भौतिक सत्यापन के आधार पर तैयार कराए गए कार्य पूर्णता प्रमाणपत्रों के आधार पर भुगतान हो चुका है।

मौके पर कुछ कार्य ऐसे मिले हैं जिनमें 2012-13 में राशि जारी होने के बाद 2017 में भी कार्य ही पूर्ण नहीं हो सके हैं। अधिकांश राशि सड़कें, नाली और पुलिया निर्माण, तालाब गहरीकरण और सामुदायिक भवन के लिए दी गई लेकिन इन्हीं मदों में पंचायतों को जो राशि प्राप्त हुई वह भी इन्हीं कार्यों में खर्च होना दर्शा दी गई है।

इधर शिकायतकर्ता का आरोप है कि इस मामले में निर्माण कार्यों के नाम पर 20 से 30 फीसदी से भी अधिक की कमीशन खोरी की आशंका है। एक ही स्थान पर राशि जारी होने के संदेहास्पद कारणों के मद्देनजर पूरे मामले की शिकायत अब आर्थिक अपराध ब्यूरो को की जा रही है।

ऐसे हुआ मामला उजागर
एडवोकेट प्रशांत भूषण की एंटी करप्शन टीम द्वारा इस आशय की जानकारी देशभर से इकट्ठी की जा रही है। राजधानी में एडवोकेट डॉ सिद्धार्थ गुप्ता ने आरटीआई के जरिये यह जानकारी प्राप्त की। 

बड़ा सवाल: एक ही जगह मेहरबानी क्यों ?
सांसद निधि में कमीशन की जानकारी मुझे नहीं है बैरसिया में मेरे कुछ परिचित थे जिनके कहने पर मैने निधि स्वीकृत की थी। 
नारायणसिंह केसरी, पूर्व रास सांसद मप्र
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मेरा संसदीय क्षेत्र होने के कारण सभी जगह देने पड़ते हैं बाकी मेरी निधि की पूरी जानकारी कभी भी ली जा सकती है। 
आलोक संजर, सांसद भोपाल
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सांसदों से संभवत: स्थानीय प्रतिनिधि राशि स्वीकृत कराकर लाए जिसके आधार पर स्वीकृतियां दी गई है इन कार्यों में कहीं कोई गड़बड़ी हुई है तो जांच करा ली जाएगी। 
निशांत बरबड़े, कलेक्टर भोपाल
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सांसदों को अधिकार है कि वे जिस राज्य से राज्यसभा के लिए चुने गए वहां के एक जिले को निधि देने के लिए चुन सकते हैं इसलिए सांसदों ने राशि दी है जहां तक निर्माण कार्यों का सवाल है संबंधित इंजीनियर और विभागीय अमले की जांच और पूर्णता प्रमाणपत्र के आधार पर ही राशि का आहरण हुआ है। 
उपेंद्र सेंगर, सीईओ बैरसिया जनपद भोपाल

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