प्रमोशन में आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट में मामला दूसरी पीठ को ट्रांसफर, सुनवाई 10 अगस्त को

भोपाल। प्रमोशन में आरक्षण मामले में दलित कर्मचारियों को न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट गई शिवराज सिंह सरकार के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर अगली तारीख हासिल कर ली। मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने यह मामला अब दूसरी पीठ की ओर ट्रांसफर कर दिया है। नर्इ् तारीख 10 अगस्त 2017 लगाई गई है। बता दें कि इस मामले में फैसले का इंतजार करते करते हजारों कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही रिटायर्ड हो गए। इनमें सामान्य एवं दलित दोनों वर्गों के कर्मचारी शामिल हैं। 

सपाक्स सूत्रों की ओर से बताया गया है कि आज सरकार के अधिवक्ताओं के सुनवाई की तारीख बढ़ाए जाने के अनुरोध पर प्रतिवादी के अधिवक्ताओं द्वारा कड़ा विरोध जताया गया। सुनवाई के दौरान माननीय पीठ द्वारा यह कहा गया की चूँकि पीठ के एक माननीय न्यायाधीश द्वारा एसे ही प्रकरण में पूर्व में निर्णय दिया जा चुका है अतः यह उचित नहीं होगा की इस प्रकरण की सुनवाई में निर्णय वर्तमान पीठ द्वारा लिया जाए अन्यथा पूर्वाग्रह से निर्णय लिए जाने के आरोप लग सकते हैं। अंततः बहस के उपरांत यह निर्णय पीठ द्वारा किया गया की उक्त प्रकरण की सुनवाई एक अन्य पीठ जिसमे पूर्व से त्रिपुरा एवं बिहार राज्यों के पदोन्नति में आरक्षण सम्बन्धी प्रकरणों की सुनवाई की जा रही है उसके द्वारा ही इस प्रकरण की भी सुनवाई की जावेगी तथा इस हेतु 10 अगस्त 2017 की तारीख नियत की गई।

उल्लेखनीय है की मध्य प्रदेश शासन की प्रकरण में सुनवाई न होने देने की पहल के कारण प्रदेश के हजारों कर्मचारी अधिकारी बिना पदोन्नति सेवानिवृत हो चुके हैं तथा निर्णय होने तक लाखों कर्मचारी/अधिकारियों के सेवा निवृत होने की संभावना है। सरकार की सुनवाई लंबित रखने की जिद के कारण हर वर्ग के शासकीय कर्मी प्रभावित एवं आक्रोशित हैं। अब यह स्पष्ट हो रहा है की शासन द्वारा जिन अधिकारियों को इस प्रकरण में प्रभारी अधिकारी बनाया गया है वे इस भय से की उन्हें पदावनत न होना पड़े सभी शासकीयकर्मियों के हितों पर कुठाराघात कर रहे हैं। 

सरकार द्वारा वर्ग विशेष के हितों की रक्षा के नाम पर न्याय को लंबित रखने की मंशा से करोड़ों रुपये का भुगतान निजी वकीलों को सरकारी खजाने से किया जा रहा है। सरकार के इस कदम से अब स्थिति उलट हो गई और सपाक्स के साथ साथ वह वर्ग भी सरकार के प्रति आक्रोशित हो गया है जिसके हितों की रक्षा के नाम पर न्याय को लंबित रखा जा रहा है क्योंकि वह वर्ग भी पदोन्नति से वंचित हो रहा है।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !