SIDHI: दलित युवक को बंधुआ मजदूर बनाने वाले रसूखदारों को आजीवन कारावास

रामबिहारी पाण्डेय/सीधी।  गांव की पहाड़ी से गिट्टी पत्थर फोड़कर परिवार का भरण पोषण कर रहे आदिवासी का अपहरण कर उत्तर प्रदेश मे ले जाकर दिन मे बंधुआ मजदूरी कराने रात मे घर के भीतर कैद कर ताला बंद कर यातना देने के दो रसूखदारों को विशेष न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश एल डी बौरासी ने आजीवन कारावास की सजा व दस हजार रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया है। 

जुर्माना की राशि जमा नही करने पर तीन मांह के अतिरिक्त कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है तो इसी मामले मे धारा 343 भादस के अपराध मे एक वर्ष के कठोर कारावास व धारा 3(1छ:) अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अपराध मे एक बर्ष के कठोर कारावास व दो दो हजार रूपये का जुर्माना व ब्यतिक्रम होने पर दो दो माह का अतिरिक्त कठोर कारावास से दण्डित किया गया है। 

विशेष लोक अभियोजक सुखेन्द्र प्रसाद द्विवेदी से मिली जानकारी के अनुसार कमर्जी थाना के नौगंवा गांव के निवासी बटानी कोल जो घोघरा गांव की पहाड़ी मे गिट्टी पत्थर तोड़कर जरूरत मंदों को बेच अपने परिवार का भरण पोषण करता रहा है को 7 अप्रैल 2012 को दिन के 12 बजे दो आरोपी दिवाकर सिंह परिहार पिता इन्द्रबली सिंह परिहार उम्र 28 बर्ष निवासी कारीमाटी थाना कमर्जी जिला सीधी दिनेश सिंह गहरवार पिता स्व शिवशंकर सिंह गहरवार उम्र 40 बर्ष निवासी ग्राम राजापुर थाना माण्डा जिला इलाहाबाद के साथ पहुंचे और बलपूर्वक उसे अपने साथ लेकर उत्तर प्रदेश चले गये। 

जहां बटानी कोल बधुआ मजदूर बना लिया गया। दिन मे कार्य कराया जाता था तो रात मे घर के भीतर बंद कर बाहर से ताला बंद कर दिया जाता। शासकीय लोक अभियोजक के अनुसार आरोपियों ने पहले बटानी को उसके घर के सदस्यों से मोबाईल फोन के माध्यम से बात कराई। बाद मे बात कराना भी बंद कर दिया गया। महीने भर आरोपियों के चंगुल मे रहने के बाद पीडि़त तब छूट कर गांव पहुच गया जब आरोपी एक दिन घर का दरवाजा बंद करना भूल गये। 

बताया गया गया है 19 मई 2012 को पीडि़त बटानी कोल की पत्नी राजकली कोल ने कमर्जी थाना पहुंचकर नामजद शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच मे लिया। जांच के दौरान ही 1 जून 2012 को बटानी कोल एसडीओपी चुरहट के पास पहुंचकर अपना बयान दर्ज कराया कि आरोपी दिनेश सिंह उसका अपहरण कर उत्तर प्रदेश के राजापुर गांव के मंगलिया पहाड़ी मे रखकर काम मजदूरी कराया जाता रहा है। 

जांच के दौरान यह भी उभर कर सामने आया कि आरोपी दिनेश सिंह बीते दो साल से अपने गांव की पहाड़ी मे 30 से 40 मजदूरों को 25 हजार रूपये अग्रिम देकर काम लिया जा रहा था तो 150 रूपये प्रति सप्ताह खुराकी के तौर पर दिया जाता था लेकिन दो साल से हिसाब नही किये जाने के कारण सभी मजदूर वापस चले गये थे। जिसका हिसाब आरोपीगणों द्वारा ब्याज सहित 40 हजार रूपये वापस करने की मांग कर रहे थे। 

जब मजदूर बटानी कोल ने दो साल के मजदूरी का हिसाव मांगा तो आरोपियों ने उसे जबरन मोटर सायकल मे बैठाकर ले गये। सभी तथ्यों का परीक्षण करने के बाद पुलिस ने 4 जुलाई 2012 को दोनो आरोपियों के खिलाफ धारा 367,343 भादस एवं धारा 3(1छ:), 3(2-पांच) अनुसूचित जाती जनजाती अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत दर्ज कर सुनवाई के लिये न्यायालय मे पेश किया गया। 

विशेष न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश ने दोनो पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद यह लिखा है कि किये गये तर्कों से वर्णित कारणों से मामले मे दाण्डिक विधि मे प्रवाहित अधिकतम दण्डादेश पारित किया जाना अनिवार्य दिखाई देता है इसलिये भादस कीधारा 71 के प्रभाव से धारा 367 भादस सह पठित धारा 3(2-पांच)अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अपराध मे अभियुक्त दिवाकर सिंह परिहार व दिनेश सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है। दोनो अभियुक्त दिवाकर सिंह 72 दिन व दिनेश सिंह 30 दिन न्यायिक अभिरक्षा मे रह चुके है इसलिये उक्त अवधि की सजा को सुनाई गई सजा मे मुजरा किये जाने के साथ पीडि़त बटानी को बीस हजार रूपये की राशि प्रतिकर के रूप मे दिलाने का आदेश भी जारी किया है। 

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