विधानसभा में गूंजेगी महिला IAS नेहा मारव्या की निरंकुश कार्रवाई

भोपाल। शिवपुरी में महज 45 दिन के लिए प्रभारी कलेक्टर बनी महिला आईएएस नेहा मारव्या के प्रभार की शुरूआत मीडिया के साथ विवाद से हुई थी और प्रभार का समापन कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया से खुले संग्राम के साथ। अब यह मामला विधानसभा में गूंजेगा। नवनियुक्त नेता प्रतिपक्ष ने अफसरशाही की निरंकुश कार्रवाई पर विरोध दर्ज कराया है। 

नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने खेल मंत्री यशोधर राजे को पत्र लिखकर मामले पर आपत्ति जताई है और कहा है कि कैबिनेट स्तर की मंत्री के साथ अफसरशाही का ऐसा बर्ताव गलत है और मुझे इसका बात का दुःख है कि लोकतंत्रीय व्यवस्था में कोई अधिकारी कैसे इतना निरंकुश हो सकता है कि जनप्रतिनिधि के साथ व्यवहार की मर्यादा ही भूल जाए। 

नेता प्रतिपक्ष ने इस मामले को विधानसभा अध्यक्ष के संज्ञान में लाने की बात कही है। वहीं मंत्री यशोधरा यह स्पष्ट कर चुकी हैं कि नेहा मारव्या की कार्यप्रणाली से वो संतुष्ट नहीं है और अनुमति नहीं देने के पीछे अगर कोई राजनैतिक षड़यंत्र है तो वो इस पर गौर करेंगी। 

क्या हुआ था घटनाक्रम
कलेक्टर के विदेशी दौरे पर जाने के कारण महज 45 दिन के प्रभार पर आईं आईएएस नेहा मारव्या ने इन 45 दिनों में काफी हायतौबा मचाई। चौंकाने वाली बात यह है कि सबकुछ नियमानुसार करने की दलील देने वाली नेहा मारव्या ने उन तमाम कार्रवाईयों को आगे नहीं बढ़ाया जिनके लिए कलेक्टर आदेशित कर गए थे। माफिया, घूसखोर, दलाल और कालाबाजारी समेत मेडिकल स्टोर्स पर चले रहे काले कारोबार के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। अलबत्ता लगभग हर सामान्य कागज पर हस्ताक्षर करने तक से इंकार करने का क्रम जारी रहा। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर पुलिस कर्मचारियों को मिलने वाले विशेष सम्मान के प्रमाण पत्रों पर भी नेहा मारव्या ने हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिए थे। अब जबकि प्रभारी को महज 3 दिन बचे थे। कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को जनता के बीच जलील करने की कोशिश की। उनके शिवपुरी पहुंच जाने के बाद उनके भूमिपूजन कार्यक्रमों की अनुमति रद्द कर दी। यह पहली बार हुआ है जब किसी कैबिनेट स्तर के मंत्री को किसी अफसर ने इस तरह से लताड़ दिया हो। 

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