व्यापमं घोटाला: CBI को 90 आरोपियों की मौतों पर संदेह

भोपाल। मप्र में हुए हजारों करोड़ के खूनी व्यापमं घोटाले की जांच कर रही सीबीआई अब ट्रेक पर आती जा रही है। उसने संदिग्ध मौत के 90 मामले सूचीबद्ध कर लिए हैं। सीबीआई को पक्का यकीन है कि ये मौतें सामान्य नहीं हैं। इनमें से कई नाम तो पुरानी जांच ऐजेंसी ने इसलिए शामिल कर लिए थे क्योंकि वो पहले से ही मर चुके थे। अर्थात एसआईटी ने मरे हुए लोगों को आरोपी बना लिया था। ताकि केस परीक्षार्थी और साल्वर तक ही उलझकर रह जाए और इस आग की लपटें हाईप्रोफाइल नेताओं व कारोबारियों तक ना पहुंच सके। 

सीबीआई सूत्रों ने बताया कि मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) की ओर से आयोजित मेडिकल प्रवेश परीक्षा में उम्मीदवारों ने अपनी जगह परीक्षा में बैठने के लिए बड़ी संख्या में प्रतिभाशाली छात्रों को पैसा दिया गया था। व्यापमं घोटाले की जांच कर रही सीबीआई को शक है कि लगभग 90 मामले ऐसे हैं जिनमें उम्मीदवारों ने यह झूठ बोला है कि उनकी जगह परीक्षा में किसी और को बैठाने वाले साल्वर की मौत हो गई है।

सूत्रों ने बताया कि एक साल्वर ने उम्मीदवारों से संपर्क किया और फिर उसी ने अन्य साल्वरों की मदद से उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली और राजस्थान में प्रतिभाशाली छात्रों की पहचान करने को कहा जो उम्मीदवारों की जगह मेडिकल प्रवेश परीक्षा में बैठ सकें। उन्होंने कहा कि परेशानी यह है कि उम्मीदवार दूसरे बिचौलिए या अपनी जगह परीक्षा देने वाले छात्रों को जानते ही नहीं है।

सूत्रों ने बताया कि बड़ी संख्या में मामले ऐसे हैं जिनमें उम्मीदवारों द्वारा ऑनलाइन जमा करवाए गए फॉर्म में फोटो से इस तरह छेड़छाड़ की गई ताकि वह असल उम्मीदवार की जगह परीक्षा में बैठने वाले छात्र से मिलता-जुलता लगे। सूत्रों के मुताबिक, जब यह घोटाला सामने आया तो उम्मीदवारों से कहा गया कि वह उन गरीब लोगों को बिचौलिया बता दे जो मर चुके हैं। ऐसा इसलिए किया गया ताकि पुलिस असल बिचौलियों तक ना पहुंच सके और यह भी पता नहीं लगा सके कि परीक्षा में असल उम्मीदवार की जगह कौन लोग बैठे थे।

सीबीआई सूत्रों ने बताया कि जब यह मामला सीबीआई के पास आया तो यह संदेह हुआ कि लगभग 96 मामलों में उम्मीदवार और बिचौलिए झूठ बोल रहे हैं, जिसके बाद उनका लाई डिटेक्टर परीक्षण किया गया। जिन उम्मीदवारों और बिचौलियों ने यह परीक्षण करवाने से इनकार किया उनका साइकोलॉजिकल असेसमेंट टेस्ट (पीएटी) करवाया गया क्योंकि इस किस्म के परीक्षण के लिए उनकी या अदालत की मंजूरी लेना जरूरी नहीं होता है। एजेंसी ने अब तक 96 मामलों में इस किस्म के परीक्षण किए हैं जिससे अधिकांश उम्मीदवारों और बिचौलियों को सच्चाई बतानी पड़ रही है और असल लोगों को पहचानना पड़ रहा है।

सूत्रों ने बताया कि एजेंसी को सीएफएसएल से प्राप्त 48 रिपोर्ट बताती है कि ऐसे 40 उम्मीदवारों ने सच कहा जबकि आठ का मामला संदिग्ध है। एजेंसी ने चेहरे की पहचान करने वाले आधुनिक सॉफ्टवेयर की मदद से व्यापमं की डाटाबेस से ऐसे 121 लोगों की पहचान भी कर ली है जो असल उम्मीदवार की जगह परीक्षा में बैठे थे। इन मामलों में जिन तस्वीरों का इस्तेमाल हुआ था उसमें छेड़छाड़ की गई थी।

सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और महाराष्ट्र में कोचिंग ले रहे या मेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे लगभग साढ़े नौ लाख छात्रों का डाटाबेस भी तैयार किया है। ऐसा असल उम्मीदवार की जगह परीक्षा में शामिल होने वाले 300 लोगों की पहचान के लिए किया गया है। सूत्रों ने बताया कि एजेंसी अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रही है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता और एंथ्रोपोमेट्रिक सिद्धांतों (मानवीय चेहरे मोहरे का आंकलन) पर काम करता है और छेड़छाड़ की गई तस्वीर में से असल तस्वीर की पहचान कर सकता है।

इस प्रक्रिया से सीबीआई ने 121 लोगों की पहचान कर ली है और उन्हें जांच में शामिल होने को कहा गया है। एजेंसी ने 170 एफआईआर दर्ज की हैं जिसमें से 74 की अंतिम रिपोर्ट जमा की जा चुकी है, जबकि 96 में अभी जांच जारी है।

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