नई दिल्ली। मोदी सरकार ने 'मेक इन इंडिया' का नारा दिया। लोग इसे 'मेड इन इंडिया' समझे और खूब तारीफ की, लेकिन हालात कुछ और ही हैं। यह सरकारी विदेशी कंपनियों को भारत में आकर कारखाने खोलने में तो खूब मदद कर रही है परंतु भारत में पहले से चल रहे कारोबारों को तंग कर रही है। बजाज जैसी स्वदेशी कंपनी 4 साल से अपनी फोर व्हीलर बाजार में उतारने के लिए सरकारी मंजूरी का इंतजार कर रही है। यह दर्द खुद NASSCOM की लीडरशिप फोरम में बाहर आया।
द नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (NASSCOM) के सालाना लीडरशिप फोरम में बजाज ने कहा- 'अगर ख्याल या समाधान सही है तो वो जरूर काम करता है। अगर ऐसा नहीं हो रहा है, मसलन नोटबंदी, तो उसके अमल को दोष मत दीजिए।'
'मेक इन इंडिया' या 'मैड' इन इंडिया?
बजाज ने मोदी सरकार के 'मेक इन इंडिया' पर भी तंज कसे। उनका कहना था कि नियामक एजेंसियां और सरकारी मंजूरी की प्रक्रिया 'मेक इंडिया' को 'मैड इन इंडिया' में तब्दील करेंगी। उन्होंने बताया किस तरह बजाज ऑटो को 4 साल बीत जाने पर भी बाजार में चौपहिया वाहन उतारने की इजाजत नहीं मिली है।
दोपहिया वाहनों के बाजार में मंदी
बजाज ऑटो देश की सबसे बड़ी दोपहिया वाहनों की कंपनियों में शामिल है लेकिन नोटबंदी का खामियाजा इस सेक्टर को भुगतना पड़ा है। इस जनवरी महीने में जनवरी 2016 के मुकाबले टू-व्हीलर्स की बिक्री 7.39 फीसदी तक गिरी। इस दौरान बजाज ऑटो की बिक्री के आंकड़ों में पिछले साल की तुलना में फीसदी कमी आई।