सुसाइड नोट में नाम होने से अपराध साबित नहीं होता: हाईकोर्ट

इंदौर। हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने आत्महत्या के एक मामले में महत्वपूर्ण आदेश दिया है। कोर्ट ने एक व्यक्ति को धारा 306 के आरोप से मुक्त करते हुए आदेश दिए कि केवल सुसाइड नोट में किसी का नाम लिख देने से प्रताड़ना साबित नहीं होती। ऐसे मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप नहीं बनता।

जस्टिस वेदप्रकाश शर्मा की कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है। मामला शुजालपुर का है। नरेंद्र पिता बनेेसिंग नामक व्यक्ति ने ओमप्रकाश अग्रवाल नामक व्यक्ति से करीब साढ़े आठ लाख रुपए उधार लिए थे। बाद में नरेंद्र ने ओमप्रकाश पर प्रताड़ना का आरोप लगाकर 2014 में आत्महत्या की थी। उसने सुसाइड नोट में ओमप्रकाश का नाम लिखा था। हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने ओमप्रकाश के खिलाफ धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) में केस दर्ज किया था।

इसके खिलाफ ओमप्रकाश ने अधिवक्ता महेश अग्रवाल के जरिए हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। कोर्ट को बताया केवल सुसाइड नोट में नाम के आधार पर पुलिस ने केस दर्ज किया। पहले जांच नहीं की। कोर्ट ने तथ्य देखने के बाद धारा हटाने का आदेश दिया। वहीं, कानून के जानकारों का कहना है इस मामले में हाई कोर्ट ने धारा 306 के मामले में राहत दी है। पैसों के लिए दायर सिविल सूट चलता रहेगा।

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