सुनकर सबकुछ याद कर लेतीं हैं अंधी बेटियां, क्लास टॉप करतीं हैं

ग्वालियर। अपने बच्चों को अच्छा बनाने और पढ़ाने के लिए माता पिता क्या कुछ नहीं करते परंतु भिंड जिले के बबेड़ी गांव के सरकारी स्कूल में 2 दृष्टिहीन बेटियां तमाम दुविधाओं के बावजूद ना केवल पढ़ रही हैं बल्कि पूरे गांव की लाड़ली बन गईं हैं। 12 साल की रचना और 10 साल की गुड़िया सामान्य छात्राओं के साथ ही कक्षा में बैठतीं हैं। स्कूल में ब्रेललिपि नहीं है। क्लास में शिक्षक जो बोलते हैं, वही सुनकर याद कर लेतीं हैं। 

पूरा परिवार दृष्टिहीन है 
बबेड़ी गांव के रामसरन सिंह चौहान और पत्नी सरस्वती देवी समेत इनका पूरा परिवार ही दृष्टिहीन है। रामसरन की चार बेटियां चांदनी (18), अंकिता (15), रचना (12) व गुड़िया (10) हैं। यह चारों भी जन्म से देख नहीं सकतीं। रचना कक्षा सात और गुड़िया कक्षा छह में पढ़ती है। इनके लिए स्कूल में ब्रेललिपि से पढ़ाने का भी कोई इंतजाम नहीं है। इसलिए इनको मजबूरन सामान्य बच्चों की तरह ही क्लास अटेंड करनी पड़ रही है।

गांव के लोग पक्का घर बनवा रहे हैं 
स्कूल के शिक्षक पंकज सोनी बताते हैं कि यह बच्चियां देख नहीं सकतीं, इसलिए रोज क्लास में बैठकर चार घंटे सुनती हैं और सुनकर ही याद कर लेती हैं। परीक्षा के समय इनके साथ एक अटेंडर को बैठाते हैं, जो कि इनसे पूछकर कॉपी में लिखता है। समाजसेवी मिलकर अब गांव में इनका पक्का मकान बनवा रहे हैं।

बड़ा अफसर बनना चाहतीं हैं 
पढ़ाई की ललक देखकर इनके शिक्षक पंकज सोनी भी इनका खास ध्यान रखते हैं। जो भी चीज रचना और गुड़िया को समझ नहीं आती वह उन्हें अलग से बताते हैं। साल दर साल दोनों बहनें सहयोगी की मदद से वार्षिक परीक्षाएं पास कर अपनी मंजिल की ओर एक-एक कदम बढ़ा रही हैं। रचना और गुड़िया, दोनों बहन होने के साथ-साथ अच्छी सहेली भी हैं। इनका कहना है कि उन्हें पढ़ लिख कर बड़ा अच्छा अफसर बनना है, ताकि परिवारजनों पर आश्रित न रहकर खुद कुछ कर सकें।

सरकारी अस्पताल में इलाज ही नहीं है
रामसरन सिंह का कहना है कि बेटियों का चैकअप भिंड के सरकारी अस्पताल में कराया लेकिन यहां से काेई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। हालांकि अब गांव के सरपंच नीतू सिंह ने इनकी बच्चियों का ग्वालियर के बड़े अस्पताल में चैकअप कराने की बात कही है।

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