शिक्षामंत्री ने बताया: अफसर नहीं चाहते प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ सख्त कानून बने

मनोज तिवारी/भोपाल। राज्य सरकार तो चाहती है कि निजी स्कूलों पर लगाम कसे, पर अफसर नहीं चाहते। ये बात स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी ने एक इंटरव्यू में कही है। उन्होंने कहा है कि ऐसे अफसरों पर भी कार्रवाई की जाएगी। आपको बता दें कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को ढाई साल पहले कानून बनाने के निर्देश दिए थे लेकिन अब तक कागजी प्रक्रिया ही चल रही है।

वहीं विभाग के मंत्री विजय शाह ने विधानसभा के मानसून सत्र में सदन में घोषणा की थी कि शीतकालीन सत्र में निजी स्कूलों पर नियंत्रण के कानून का प्रारूप पटल पर रख दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। बजट सत्र में भी प्रारूप विधानसभा में रखा जा सकेगा या नहीं इस पर संदेह है।

शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी से सीधी बातचीत 

सवाल : क्या निजी स्कूल फीस निर्धारण कानून का प्रारूप तैयार है? विधानसभा में कब रखा जाएगा?
जवाब : उम्मीद कम है। अभी कागजी कार्यवाही ही चल रही है। इसके बाद प्रारूप पर विचार होगा। तब कहीं कैबिनेट में लाया जाएगा। अभी लंबी प्रक्रिया है।

सवाल : शिकायतकर्ता से एक हजार रुपए बतौर फीस जमा कराना कहां तक उचित है? ये प्रावधान कानून के प्रारूप में किया गया है।
जवाब : ये अभी तक मेरे सामने नहीं आया है। इसलिए मैं इस संबंध में कुछ नहीं कह सकता हूं।

सवाल : कानून बनाने में देरी क्यों हो रही है? क्या सरकार नहीं चाहती है।
जवाब : सरकार तो चाहती है। अफसर नहीं चाहते। मुख्यमंत्री और विभाग के कैबिनेट मंत्री कई बार कह चुके हैं, लेकिन अफसर सिर्फ कानून का मसौदा तैयार करने का अभिनय कर रहे हैं। जल्दी करने का कहने पर भी वे समय से काम नहीं कर रहे हैं। मैंने तो यहां तक कह दिया कि हम व्यावसायिक पाठ्यक्रम की फीस निर्धारित करते हैं। उसका प्रारूप ले लो।

सवाल : क्या ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करेंगे?
जवाब : जरूर करूंगा। ये बात मुख्यमंत्री के ध्यान में लाऊंगा।

सवाल : क्या अफसर स्कूल संचालकों का पक्ष ले रहे हैं? नया कानून 1975 के कानून से लचर बताया जा रहा है।
जवाब : ऐसा सीधे-सीधे तो नहीं कह सकता,लेकिन कानून बनाने में देरी से संदेह जरूर होता है। 1975 के कानून के विषय में मुझे जानकारी नहीं है। यदि वह कानून फीस के नियंत्रण का उद्देश्य पूरा करता है,तो दूसरा बनाने की जरूरत ही नहीं है। मैं इसे दिखवाऊंगा।

सवाल : कानून में क्या किया जाना है?
जवाब : समझ नहीं आता क्या उलझन है। मैंने कहा था कि स्कूल से वार्षिक लेखा-जोखा ले लो। उसमें स्कूल के खर्चे निकाल लो। इसमें 10 फीसदी की वृद्धि कर फीस तय कर दो। स्कूल कमाई के लिए थोड़े ही चला रहे हैं।
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पहले क्या हुआ, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। मैं जब से आया हूं। तेजी से इस काम को निपटा रहा हूं। वरिष्ठ स्तर से जो बताया जाता है, तुरंत कर देते हैं। 
नीरज दुबे, आयुक्त, लोक शिक्षण संचालनालय 
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कानून का प्रारूप तैयार हो चुका है। सिर्फ टैक्स का परीक्षण कर रहे हैं। अगले हफ्ते तक फाइनल कर वरिष्ठ सदस्य सचिव कमेटी को भेज देंगे। 
दीप्ति गौड़ मुकर्जी, सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग

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