फारूक अब्दुल्ला ने की पाकिस्तान की वकालत

नई दिल्ली। बुरहान वानी के एनकाउंटर को शहादत बताकर कश्मीर में आग लगाने वाले पाकिस्तान ने अति उत्साह में उरी अटैक भी किया लेकिन अब जबकि वो दवाब में है तो दोस्ती की बात कर रहा है। इधर भारत सरकार के पैसों से नेता बने नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने भी पाकिस्तान की वकालत शुरू कर दी है। आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति रखने वाले अब्दुल्ला ने भारत को शांति का पाठ पढ़ाया है। 

उन्होने जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता बहाल करने का आह्वान किया और कहा कि गोली के बदले गोली की नीति से बस राज्य में स्थिति खराब ही होगी। अब्दुल्ला ने कहा कि यदि आप कश्मीर में स्थिति सुधारना चाहते हैं तो उसका बस एक रास्ता वार्ता शुरू करना है। बुलेट के जवाब में बुलेट की बात करने से स्थिति खराब ही होगी।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बुलेट का जवाब बुलेट नहीं हो सकता। बुलेट का जवाब धैर्य, प्रेम और संवाद द्वारा दिया जा सकता है। हमें उससे दूर रहना चाहिए और हम आशा करते हैं कि भारत और पाकिस्तान वार्ता की मेज पर आएंगे और वार्ता का नया चरण बहाल होगा ताकि (कश्मीर की) समस्या का समाधान हो सके। उन्होंने कहा कि मौत और विनाश पर विराम लगना चाहिए ताकि कश्मीर के लोग शांति से जी सकें। पर्यटन सीजन शुरू होने वाला है और यदि मृत्यु और विध्वंस का तांडव जारी रहता है तो यहां कौन आएगा. उसका भुक्तभोगी कौन बनने जा रहा है. ये गरीब लोग ही हैं जो पर्यटन पर निर्भर करते हैं.

युवाओं के आतंकवाद से जु़ड़ने के विषय में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमें उनकी (आतंकवादियों की) संवेदना को ध्यान में रखना होगा. उनके हथियार उठाने की क्या वजह है. युवाओं को हथियार उठाने के लिए कौन सी बात बाध्य कर रही है, उसकी जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच आयोग गठित किया जाना चाहिए.

आतंकवाद निरोधक अभियानों में हस्तक्षेप करने के विरुद्ध युवाओं को सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत द्वारा चेतावनी दिए जाने का जिक्र करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि यह सही नहीं है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि यदि आपको समस्या का समाधान करना है तो हल बंदूक में नहीं बल्कि बातचीत में है.

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