ओंकारेश्वर/इंदौर। दुनियाभर में भगवान शिव के कई अनोखे मंदिर हैं, लेकिन एमपी के इस मंदिर की बात सबसे अलग है। मान्यता है कि रात में शिव-पार्वती स्वयं यहां चौसर-पासे खेलने आते हैं। गर्भगृह में रोज रात शिव और पार्वती के लिए चौसर-पासे की बिसात बिछाई जाती है।
नर्मदा किनारे बसा ओंकारेश्वर मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसके दर्शन के बिना चारों धाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है। पुराणों के अनुसार इस मंदिर की स्थापना राजा मांधाता ने की थी। उन्हें भगवान राम का पूर्वज माना जाता है। मंदिर के मुख्य पुजारी डंकेश्वर दीक्षित बताते हैं कि यह मंदिर वेद कालीन है। कहते हैं कि भगवान शिव के सोलह सोमवार के व्रत की कथा में भी इसका उल्लेख आता है।
यहां की मान्यता है कि यहां भगवान शिव और पार्वती रोज रात में यहां आकर चौसर-पांसे खेलते हैं। रात में शयन आरती के बाद ज्योतिर्लिंग के सामने रोज चौसर-पांसे की बिसात सजाई जाती है। ये परंपरा मंदिर की स्थापना के समय से ही चली आ रही है। कई बार ऐसा हुआ है कि चौसर और पांसे रात में रखे स्थान से हटकर सुबह दूसरी जगह मिले।
होती है गुप्त आरती
ओंकारेश्वर शिव भगवान का अकेला ऐसा मंदिर है जहां रोज गुप्त आरती होती है। इस दौरान पुजारियों के अलावा कोई भी गर्भगृह में नहीं जा सकता। पंडित डंकेश्वर दीक्षित के अनुसार इसकी शुरुआत रात 8 :30 बजे रुद्राभिषेक से होती है। अभिषेक के बाद पुजारी पट बंद कर शयन आरती करते हैं। आरती के बाद पट खोले जाते हैं और चौसर-पांसे सजाकर फिर से पट बंद कर देते हैं। हर साल शिवरात्री को भगवान के लिए नए चौसर-पांसे लाए जाते हैं।