खोई जमीन तलाशने अनूठा आंदोलन करना चाहता है आजाद अध्यापक संघ

भोपाल। मप्र में दर्जनों अध्यापक संगठनों के बिफल हो जाने के बाद उम्मीद की एक किरण बनकर उभरा आजाद अध्यापक संघ अब भीड़ का हिस्सा बन चुका है। अध्यापकों की समस्याओं का निदान कराना तो दूर की बात वो संघर्ष को लंबा खींचने में भी सफल नहीं हो पाया। अब एक बार फिर आजाद अध्यापक संघ अनूठे आंदोलन की तैयारी कर रहा है ताकि अध्यापक समाज में खोई जमीन वापस हासिल की जा सके। 

आजाद अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष भरत पटेल, उपाध्यक्ष रत्नेश मिश्रा, जिला अध्यक्ष दिनेश मिश्रा ने जारी बयान में सरकार ने यदि सातवां वेतनमान के आदेश जल्द जारी नहीं किए तो अध्यापक रात में भी धरना-प्रदर्शन करने से पीछे नहीं हटेंगे। ये निर्णय रविवार को सिविक सेंटर में दोपहर 2 बजे संघ की बैठक कर लिया गया है। कहा गया कि यदि मांगों पर निर्णय नहीं लिया गया तो 1 सितम्बर से ब्लॉक, जिला और भोपाल स्तर पर उग्र आंदोलन किया जाएगा। 

इस अवसर पर मिथलेशपुरी गोस्वामी, शैलेष पंड्या, नारायण साहू, राजीव गुप्ता, शैलेन्द्र पाटिल, आशीष उपाध्याय, गोविंद बिसेन, उमाशंकर छिरा, शरद शुक्ला, अरविंद तिवारी, देवेन्द्र राजपूत, तनूजा अग्रवाल, संध्या देवलिया, लक्ष्मी बरकड़े आदि मौजूद रहीं।
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खाते में नहीं पहुंच रही राशि
अंशदायी पेंशन योजना के अध्यापकों के वेतन से हर माह 10 प्रतिशत राशि की कटौती तो की जा रही। लेकिन पिछले 13 माह से पेंशन कटौती की राशि एनएसडीएल के खाते में जमा नहीं कराई गई है। ये आरोप अध्यापक प्रकोष्ठ मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय संयोजक मुकेश सिंह ने लगाए हैं। सिंह ने जारी बयान में बताया कि नियम ये है कि अध्यापकों के वेतन से 10 प्रतिशत राशि काटी जाएगी और इतनी ही राशि शासन द्वारा अध्यापकों के अंशदायी पेंशन खाते में जमा कराई जाएगी। बावजूद इसके राशि खाते में जमा नहीं कराई जा रही। प्रकोष्ठ के सोनल दुबे, नितिन अग्रवाल, मो.तारिक, धीरेन्द्र सोनी, अब्दुल्ला चिश्ती, राकेश पाण्डे, श्याम नारायण तिवारी, मनोज सेन, संतोष तिवारी, ललित चौधरी आदि ने शासन से पेंशन कटौती में पारदर्शिता लाने की मांग की है।

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