कर्मचारियों को इस साल मिलेगा 9.5% इंक्रीमेंट

नई दिल्ली। इस साल घरेलू कॉरपोरेट जगत कर्मचारियों का वेतन औसतन 9.5 फीसदी बढ़ाएगा। एक ग्लोबल संस्था ने यह अनुमान लगाया है। इस मामले में नोटबंदी, ब्रेक्जिट और अमेरिका में हो रहे बदलाव के ज्यादा असर की आशंका नहीं है।

एऑन के वैश्विक प्रतिभा, सेवानिवृत्ति और स्वास्थ्य यूनिट एऑन हेविट के मुताबिक इस साल की अनुमानित वेतन वृद्धि पिछले साल के 10.2 फीसदी के मुकाबले थोड़ी कम है। बावजूद इसके भारत के तमाम औद्योगिक क्षेत्रों में एशिया के बाकी देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा वेतन वृद्धि होगी।

मसलन, जापान, सिंगापुर और चीन जैसे देश इस मामले में भारत से पीछे रहेंगे। सबसे ज्यादा वेतन वृद्धिएऑन हेविट इंडिया के पार्टनर आनंदोरुप घोष ने कहा, "एशिया के बाकी देशों के मुकाबले भारत सबसे ज्यादा महंगाई समोजित वेतन वृद्धि हुई है। बाकी देशों में इसका औसत 2.5 फीसदी है, जबकि भारत में 6 फीसदी।"

महंगाई का असर हालांकि परंपरागत तौर पर भारत में वेतन वृद्धि महंगाई से प्रभावित नहीं होती। लेकिन, पिछली तिमाही में खुदरा कीमतों के हिसाब से महंगाई दर में कमी आने का असर कंपनियों की वेतन वृद्धि योजना पर हो सकता है। फिलहाल देश में महंगाई दर 5 फीसदी से कम है, लिहाजा 9.5 फीसदी वेतन वृद्धि भी अच्छी मानी जा सकती है।

बाहरी झटके बेअसर
घोष का कहना है कि इस बार भारतीय कॉरपोरेट जगत बाहरी झटकों से बेहतर तरीके से निपट रहा है। कंपनियां मुश्किलों का सामना करने के लिए कठोर कदम नहीं उठा रही हैं। लेकिन, पहले ऐसा होता रहा है। 2009 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भारत में वेतन वृद्धि घटकर 6.6 फीसदी रह गई थी।

टॉप-औसत का बढ़ेगा फासला
रिपोर्ट के मुताबिक आम कर्मचारियों को थोड़ी कम वेतन वृद्धि मिल सकती है, लेकिन प्रतिभावान लोगों के वेतन-भत्तों में ज्यादा इजाफा किया जाएगा। जाहिर है, सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों और औसत कर्मियों के बीच वेतन का अंतर बढ़ेगा।

प्रदर्शन के मामले में आला दर्जे के कर्मचारियों का वेतन 15-18 फीसदी बढ़ाया जा सकता है। यहां 10 फीसदी से ज्यादा जीवन विज्ञान, पेशेवर सेवाएं, केमिकल्स, एंटरटेनमेंट मीडिया, वाहन और उपभोक्ता उत्पादन जैसे सेक्टर की कंपनियों में इस साल भी औसतन 10 फीसदी से ज्यादा वेतन वृद्धि का अनुमान है। हालांकि इस मामले में 2016 के मुकाबले खर्च थोड़ा घटाया जा सकता है।

व्यापक विश्लेषण
यह रिपोर्ट एक हजार से ज्यादा कंपनियों और 5 स्तरीय प्रबंधन के गहन विश्लेषण पर आधारित है। यह अध्ययन दिसंबर, 2016 से लेकर जनवरी, 2017 के बीच किया गया। इस लिहाज से यह रिपोर्ट नोटबंदी से प्रभावित मानी जाएगी।

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