शिवपूजन से 4 ग्रहों की शांति होगी और कुबेर भी प्रसन्न होंगे

त्रिदेव समस्त सॄष्टि का जन्म पालन व संहार करते है। जन्म तथा पालन करने मॆ जीवन का आनंद रहता है। लेकिन जीवन की समाप्ति रोग,दुर्घटना व अपघात के द्वारा ही होता है। जिस तरह जन्म देने वाले ग्रह है उसी तरह पालने व कष्ट द्वारा नष्ट करने वाले ग्रह भी होते है। शनि ग्रह कॊ भगवान शिव ने संहार का कार्य दिया है। वही राहु महराज़ कॊ जीवन कॊ ग्रसने का कार्य दिया है।
शनि दंडाधिकारी
भगवान शनि कालपुरुष के दंडाधिकारी है।जातक कॊ उसके कर्म के अनुसार प्रगति व पतन शनि महाराज ही देते है।शनि महाराज कॊ दंड देने का यह अधिकार भगवान शिव ने ही दिया।इसीलिये जब साडेसाति,अडैया व ढैया का प्रकोप हो तो महाशिवरात्रि व्रत विशेष लाभकारी होता है।शिव पूजन से शनि के कष्टों से राहत मिलती है।

राहु वसूलीकर्ता
राहु कॊ कालपुरुष का वसूलीकर्ता कहेंगे तो यह उपयुक्त होगा।यदि आपने पिछले जन्मों मॆ किसी की  कोई भी वस्तु का ऋण बाकी रखा है तो राहु महाराज इस जन्म मॆ आपसे वह ऋण सूद समेत वसूल करते है।पिता द्वारा कोई ऋण ही तो सूर्य कॊ ग्रहण लगाकर ,मातृऋण हो तो चंद्रग्रहण,ज्ञान शिक्षा या धन का कोई ऋण हो तो चांडाल योग,इस तरह वे प्रत्येक ग्रह से सम्बन्धित ऋण उसे ग्रस कर वसूल करते है।राहु ग्रह केवल भगवान शिव की पूजा करते है इसीलिये राहुजनित कष्ट शिवपूजन से ही ख़त्म होते है।

चंद्र कॊ बलि करना
चंद्र मानव जीवन का कारक है।यदि आपका मन खराब है तो आपका जीवन खराब।मन खराब होने के कई कारण है जैसे गरीबी,शारीरिक निर्बलता,बीमारी, कर्ज ,अपंगता इत्यादि।भगवान शिव ने चंद्र कॊ अपने मस्तक मॆ जगह दी है इसीलिये आपकी किसी भी प्रकार की परेशानी हो उसका निदान शिव पूजा ही है।

शुक्र जनित कष्ट
शुक्र ग्रह दैत्यचार्य है।यह पद उन्हे भगवान शिव ने दिया।शुक्र से प्रेम विवाह ,धनलक्ष्मी विलासिता ऐश्वर्य देखा जाता है।भगवान शिव की सेवा पूजा से शुक्र ग्रह प्रसन्न होते है।तथा उत्तम विवाह व समृध्दि प्रदान करते है।

कुबेर कृपा
कुबेर कॊ धन का अधिकारी भगवान शिव ने बनाया।समस्त खजानों पर कुबेर का अधिकार होता है।कुबेर भगवान शिव मॆ परम मित्रता है।यदि आप भगवान शिव के पूजन के साथ कुबेर पूजन भी करते है तो आपको इसका श्रेष्ठ लाभ मिलता है।
पंडित चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"
9893280184
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