इंदौर। कजलीगढ़ के किले में 45 गैंगरेप के मामले सामने आ चुके हैं परंतु मप्र पुलिस का स्टेंड बिल्कुल वैसा ही है जैसा मुरथल रेपकांड में हरियाणा पुलिस का था। कोर्ट में पुलिस बार बार दावा कर रही है कि वहां एक भी गैंगरेप नहीं हुआ। याचिकाकर्ता ने तर्क दिए कि इस मामले को अखबार, टीवी चैनल पर दिखाया गया, लेकिन पुलिस ने खबर गलत होने पर किसी को मानहानि का नोटिस तक नहीं दिया। वहीं, ग्रामीण ने भी कजलीगढ़ में लड़कियों के साथ रेप के किस्से बताते है।, लेकिन पुलिस मानने को तैयार नहीं।
इंदौर से 25 किमी दूर कजलीगढ़ पिकनिक स्पॉट अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। यहां पर होलकर राजाओं द्वारा बनाया गया किला अब खंडहर हालत में है। यह जगह प्रेमी जोड़े और शादीशुदा कपल्स के लिए पसंदीदा हुआ करती थी, लेकिन तकरीबन डेढ़ साल पहले इंदौर पुलिस ने एक लूट के मामले में 4 लोगों को हिरासत में लेने के बाद एक सनसनीखेज खुलासा हुआ। पुलिस गिरफ्त में आए गैंग के सरगना ने पूछताछ में कबूला कि उसके गिरोह ने पिछले 2 साल में कजलीगढ़ इलाके में 45 से ज्यादा लड़कियों का रेप किया है।
उनके मुताबिक, यहां आने वाले कपल्स को सुनसान में पाकर वे उन्हें लूटने के बाद लड़कियों से गैंगरेप करते थे। इन कपल्स में ज्यादातर कॉलेज स्टूडेंट होते थे तो कई बार स्कूल के स्टूडेंट्स। पहले तो गैंग के लोग कप्ल्स को घेर लेते और फिर लड़के से लूटपाट कर उसे बांध देते। इसके बाद लड़के के सामने ही लड़की के साथ गैंगरेप करते थे और वीडियो भी बना लिया करते थे। साथ ही उनके मोबाइल फोन की सिम निकालकर फेंक दिया करते थे। बदनामी की डर से लड़के-लड़कियां पुलिस को शिकायत नहीं करते थे। गिरोह के सरगना श्रीराम कालूसिंह की गिरफ्तारी के बाद गैंग से कुछ हथियार और लूट का सामान भी बरामद किया गया था।
एसपी की रिपोर्ट झूठी है: ग्रामीणों ने कहा
नवंबर 2015 में इस सनसनीखेज मामले की जांच करने वाले एसपी डी. कल्याण चक्रवर्ती की रिपोर्ट को ग्रामीणों ने ‘फर्जी’ करार दिया है। एसपी की रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए है। रिपोर्ट में चार ग्रामीणों के हवाले से लिखा गया, ‘किसी लड़की के साथ ज्यादती नहीं हुई, न ही इसकी जानकारी गांव वालों को मिली। इन ग्रामीणों से पत्रकारों ने दोबारा गांव जाकर बात की तो उन्होंने साफ कहा- एसपी ने अगर ऐसी रिपोर्ट बनाई है तो वह झूठी है। हमने तो बताया था कि ऐसी कई घटनाएं हुई हैं। हमने लड़की को बदमाशों से छुड़ाया था, उसे कपड़े भी दिए थे। इस दौरान ग्रामीणों ने आरोपियों को पकड़ने का वीडियो भी उपलब्ध करवाया।
TI ने भी घटनाओं को माना था
लड़कियों के साथ हुए रेप और पुलिस द्वारा किसी के खिलाफ FIR दर्ज नहीं किए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका की अंतिम बहस हाई कोर्ट में मंगलवार को पूरी हो गई। केवल एक लूट की घटना हुई थी, जिसका चालान जिला कोर्ट में पेश किया जा चुका है। जस्टिस पीके जायसवाल, जस्टिस वीरेंदर सिंह की कोर्ट के समक्ष अंतिम सुनवाई हुई। डेढ़ साल पहले कजलीगढ़ में 40 से ज्यादा युवतियों के साथ ज्यादती का खुलासा हुआ था। सिमरोल के टीअाई ने भी इस बात को कबूला था, लेकिन पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट में एक भी रेप की बात नहीं कबूली। याचिकाकर्ता ने रिजॉइंडर के रूप में एक सीडी कोर्ट में पेश की तो पुलिस ने इसकी जांच कराने की बात कही थी। ग्रामीणों के सीडी में दिए साफ बयान को भी पुलिस ने गलत बताते हुए जवाब दिया कि ग्रामीणों ने एेसा कुछ भी नहीं कहा। हाई कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली और फैसला सुरक्षित रख लिया।