14 लाख कर्मचारियों से छल कर रही है शिवराज सरकार, हड़ताल

भोपाल। प्रदेश के 14 लाख कर्मचारियों की कम वेतन, वेतन विसंगति, नियमितिकरण, बहाली और आवासों की कमी जैसी मांगें पूरी नहीं हुई हैं। सरकार से कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन न वेतन बढ़ा न विसंगति दूर हुई। कर्मचारी एक बार फिर आंदोलन की राह पर हैं। 

स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा के कर्मचारी हड़ताल पर हैं। 15 फरवरी को 10 हजार संविदा बिजली कर्मचारी आंदोलन करेंगे। मंत्रालयीन अधिकारी, कर्मचारी 16 को मंत्रालय में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे। जबकि मप्र राज्य कर्मचारी संघ के कर्मचारी 14 फरवरी और शासकीय कर्मचारी परिसंघ के कर्मचारी 19 फरवरी को सातवां वेतनमान लागू करने और छठे वेतनमान की विसंगति दूर करने को लेकर आंदोलन करेंगे।

इसलिए सरकार पर लग रहे आरोप
1- लंबी लड़ाई के बाद दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को स्थाई कर्मी बनाने का निर्णय लिया गया। जिसे तीन महीने हो चुके हैं। 10 फीसदी विभागों में भी दैवेभो को लाभ नहीं मिला। सालों से काम करने वाले दैवेभो की कई कमियां निकाल उन्हें बाहर किया जा रहा है।
2- सातवें वेतनमान पर स्थिति साफ नहीं हैं। पूर्व में कहा था केंद्र जब से लागू करेगा तभी से राज्य में भी लागू करेंगे, लेकिन उसके पहले छठे वेतनमान की विसंगति दूर नहीं की। लाखों कर्मचारियों को कम वेतन मिल रहा है।
3- पेंशनर परेशान हैं, उन्हें एरियर्स के करोड़ों रुपए भुगतान नहीं किए जा रहे हैं। सुविधाएं भी राजस्थान, छत्तीसगढ़ और दूसरे राज्यों की तुलना में बेहतर नहीं दी जा रही है।
4- प्रदेश के लगभग सभी विभागों में संविदा कर्मचारियों को सेवा पूर्ण होने के बाद भी नियमित नहीं किया जा रहा है। वेतन भी नियमित कर्मचारी से कम है।
5- प्रदेश के 4500 ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों को सर्वेयर से कम वेतन मिल रहा है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ने वेतन नहीं बढ़ाया।

कर्मचारी परेशान हैं
सरकार के प्रतिनिधियों से कई दौर की चर्चा कर चुके हैं। आश्वासन मिलते हैं लेकिन मांगों का निराकरण नहीं होता। आने वाले दिनों में आंदोलन तेज होंगे।
वीरेंद्र खोंगल, प्रदेश अध्यक्ष, मप्र कर्मचारी कांग्रेस

कर्मचारियों का शोषण
प्रदेश के कर्मचारियों का कई तरह से शोषण किया जा रहा है यह ठीक नहीं है। न चाहते हुए भी संगठनों को आंदोलन करना पड़ रहा है।
रमेश राठौर, प्रदेश अध्यक्ष, मप्र संविदा अधिकारी-कर्मचारी महासंघ

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