जबलपुर। मद्रास और आंध्र हाईकोर्ट ने कहा कि साईं कोई धर्म नहीं है। इसके बावजूद महाराष्ट्र सरकार साईं संस्थान को शताब्दी मनाने के लिए 3 हजार करोड़ रुपए दे रही है, जो समझ से परे है। क्योंकि साईं संस्थान के पास पहले ही 13 अरब रुपए हैं जिसका उपयोग जनसेवा या मानव सेवा के लिए नहीं किया जाता है। यह कहना है ज्योतिष व द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का।
शंकराचार्य ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि साईं संस्थान में भ्रष्टाचार की बात सुप्रीम कोर्ट ने भी मानी है और उसने हाल ही में राज्य सरकार को आदेश दिया है कि उसकी कोष की निगरानी के लिए किसी आईएएस अधिकारी की नियुक्ति तत्काल करें। उन्होंने कहा कि यदि साईं भगवान था तो आजादी की लड़ाई में हजारों मर गए, कोलकाता और ओडिशा में भूख से लाखों लोगों की मौत हुई उन्हें क्यों नहीं बचाया। केदारनाथ में त्रासदी हुई तो अरबों के साईं ट्रस्ट से कोई मदद क्यों नहीं की गई।
द्वारका पीठ के मामले में उन्होंने कहा कि अच्युदानंद को हनुमान चालीसा भी नहीं आती वह कैसे पीठाधीश्वर हो सकता है। पीठाधीश्वर बनाने की अपनी एक परंपरा है। द्वारका मंदिर के बाजू में बने चबूतरे में अभिषेक के बाद ही मंदिर में प्रवेश का अधिकार होता है। लेकिन अच्युदानंद अपनी परंपरा चलाना चाहता है जो गलत है। मठ उसके खिलाफ एफआईआर कराएगा।