सक्सेस मार्कशीट से नहीं मिलती: SUCCESS TIPS BY SUNDAR PICHAI CEO GOOGLE

NEW DELHI | सफलता हमेशा मार्कशीट देखकर नहीं आती। लगातार मेहनत आपको खुद सफलता के शिखर तक पहुंचा देती है। यह कहना है कि गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई का। 1993 में आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिग में स्नातक करने वाले पिचाई 23 साल बाद गुरुवार को फिर खड़गपुर पहुंचे थे।

इस दौरान छात्रों ने उनसे जमकर सवाल पूछे और पिचाई ने खुलकर जवाब दिए। पिचाई ने बताया कि आइआइटी में एक समय उन्हें 'सी' ग्रेड मिला था, लेकिन इससे उनका हौसला नहीं टूटा। उन्होंने आगे मेहनत की और पिछली कमियों को पीछे छोड़ दिया। पिचाई ने छात्रों में करियर को लेकर असमंजस पर भी आश्चर्य जताया।

उन्होंने कहा, 'यह सुनकर आश्चर्य होता है कि आठवीं कक्षा का बच्चा आईआईटी की तैयारी कर रहा है। छात्रों को जीवन में रिस्क लेना चाहिए और अपने शौक पूरे करना चाहिए।' फिल्म और क्रिकेट का शौक अगर आपको लगता है कि फिल्में या क्रिकेट देखने का शौक करियर को प्रभावित करता है, तो सुंदर पिचाई का अनुभव जरूर जानें। पिचाई को फिल्मों का बहुत शौक है।

दीपिका पादुकोण उनकी पसंदीदा अभिनेत्री हैं। कॉलेज के समय में और भी अभिनेत्रियां उनकी पसंदीदा थीं। पिचाई क्रिकेट के भी उतने ही दीवाने हैं। उन्हें विराट कोहली का खेल बहुत प्रभावित करता है। 'अबे साले' को समझते थे सामान्य शब्द दक्षिण भारतीय होने के कारण पिचाई को शुरुआत में आईआईटी में भाषा को लेकर दिक्कत आती थी। हाल ये था कि उस वक्त उन्हें 'अबे साले' एक सामान्य संबोधन लगता था।

असलियत का पता तब चला, जब उन्होंने एक बार मेस में किसी को अबे साले कहकर पुकारा। थोड़ी देर वहां सन्नाटा छा गया। बाद में उन्हें पता चला कि यह बोलना इतना भी सामान्य नहीं है।

पत्नी अंजलि से यहीं हुई थी मुलाकात पिचाई की आईआईटी खड़गपुर में ही अंजलि से मुलाकात हुई थी, जो बाद में उनकी पत्नी बनीं। उस वक्त साथी उन्हें अक्सर अंजलि के नाम से चिढ़ाते थे। दोस्त दोनों की खिंचाई करने से भी नहीं चूकते थे।

सफलता के लिए सिर्फ किताबें पढ़ना और जानकारी बढ़ा लेना ही सब कुछ नहीं होता। किताबों से इतर कुछ काबिलियत भी जरूरी है। पिचाई की नजर में कुछ सीखने के लिए लिखने की आदत बहुत काम आती है।

गूगल के इंटरव्यू को समझा था मजाक पिचाई का गूगल में पहला इंटरव्यू जीमेल के बारे में 1 अप्रैल, 2004 को हुआ था। उन्हें और उनके कई दोस्तों को लगता था कि कहीं यह अप्रैल फूल का मामला न बन जाए।

हालांकि कई दौर के इंटरव्यू के बाद उनकी नियुक्ति हो गई थी। पिचाई गूगल के उन कुछ शुरुआती लोगों में से हैं, जिनका इंटरव्यू गूगल के सह संस्थापक लेरी पेज ने नहीं लिया था। पिचाई अक्सर कहते हैं कि शायद इसीलिए उन्हें गूगल में मौका मिल गया।

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