भोपाल। भारतीय रिजर्व बैंक की भोपाल ब्रांच में भारतीय मुद्रा के अपमान का मामला सामने आया है। नोट पर उद्घोषणा होती है कि 'मैं धारक को अमुक रुपए अदा करने का वचन देता हूं' इसका तात्पर्य यह होता कि यदि मुद्रा प्रचलन से बाहर हो जाए या कट/फट जाए तब भी उसका मूल्य कम नहीं होगा। रिजर्व बैंक उस मुद्रा के बदले नई मुद्रा प्रदान करेगा परंतु यहां आरबीआई अफसरों ने एक किसान के पुराने नोट बदलने से इंकार कर दिया जबकि उसके पास एक मजबूत कारण भी था।
रातीबढ़ निवासी मस्तान सिंह मारण किसान हैं। उन्होंने बताया कि उनके 93 वर्षीय पिता शिवचरण मारण का गत 26 दिसंबर को निधन हो गया था। वे डायबिटीज के मरीज थे। मृत्यु से करीब दो माह पहले से उनकी याददाश्त चली गई थी, जिससे वह सब कुछ भूल गए थे। मस्तान को पिता के कमरे की साफ-सफाई में बिस्तरों में छुपे 50 हजार रुपए मिले। ये सभी 500 रुपए के पुराने नोट हैं। वह रुपए लेकर आरबीआई पहुंचे, तो उन्हें बताया गया कि अब सिर्फ एनआरआई के रुपए ही वापस लिए जा रहे हैं। वे भी दिल्ली जाकर वापस करने होंगे। इसके बाद से मस्तान रुपयों को लेकर परेशान हैें।
सवाल यह है कि यदि नोट नकली नहीं हैं तो उसे बदलने से आरबीआई इंकार कैसे कर सकता है। दूसरे यदि किसी व्यक्ति का इंकम सोर्स संदिग्ध है तो उसके खिलाफ मौजूद कानूनों में कार्रवाई की जा सकती है लेकिन नोट बदलने से इंकार नहीं किया जा सकता। इसे भारतीय मुद्रा का अपमान कहा जाना चाहिए।