NGO: हिसाब पूछने की पहल

राकेश दुबे@प्रतिदिन। कहने को देश भर में लगभग 32 लाख एनजीओ हैं, जिनमें से केवल तीन लाख ही बैलेंस शीट फाइल करते हैं। इनमे से कितने रसूखदारों के हैं गिनने के बजाय यह गिनती आसान होगी की कौन से रसूखदारों के नहीं है। अब सुप्रीम कोर्ट ने इनकी नाक में नकेल डालने की कोशिश की है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सरकार को भी आड़े हाथों लिया है। फैसले में कहा गया है।

इन एनजीओ पर निगरानी रखने के लिए कोई समुचित विकसित तंत्र भी नहीं है। प्रधान न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर, न्यायमूर्ति एन.वी. रमण और न्यायमूर्ति धनंजय चंद्रचूड़ की बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए गबन करने वाले एनजीओ के खिलाफ फौजदारी मुकदमा चलाने का भी निर्देश दिया। शीर्ष अदालत की इस पहल का स्वागत किया जाना चाहिए। 

जनता के पैसों के साथ धोखाधड़ी करने वाले एनजीओ का भी एक पक्ष है, उनका तर्क है की सिर्फ एनजीओ ही इसके लिए अकेले जिम्मेदार नहीं हैं। इसमें चार तरह के गठजोड़ शामिल हैं। जो मिलजुल कर हेराफेरी और गबन करते हैं। उदाहारण के लिए, केंद्रीय सामाजिक कल्याण बोर्ड, कपार्ट और जिला तथा ब्लाक स्तर पर कार्यरत सरकारी संस्थाएं जिन्हें दाता (डोनर एजेंसी) संस्था कहा जाता है। पहला पायदान है जहाँ से बेईमानी शुरू होती है |दूसरे, एनजीओ के कामकाज को मॉनिटर करने वाले, तीसरे ऑडिटर और चौथा एनजीओ। दाता संस्था ही मॉनिटर को नियुक्त करता है। जो कामकाज के निर्धारित मानकों को नजरअंदाज करके फर्जी रिपोर्ट पेश करता है।

ऑडिट के मामले में प्रशासनिक खर्चे के हिसाब में अस्पष्टता का फायदा ऑडिटर उठाते हैं। इसमें यात्रा बिल आदि को भी नत्थी कर दिया जाता है। जिसकी ठीक से जांच नहीं हो पाती। इस तरह जनता के पैसों के साथ धोखाधड़ी और लूट के खेल में दाता संस्थाओं के उच्च अफसरों से लेकर एनजीओ तक शामिल हैं।

इसलिए सबसे पहले दाता संस्थाओं के शीर्ष अफसरों को ईमानदार बनाने की जरूरत है। जिससे वे  अपने जैसे ईमानदार एनजीओ को ही रकम मुहैया कराएं। ऑडिट करने वाली संस्था या व्यक्ति की भी समुचित निगरानी करने की जरूरत है। अगर एनजीओ के कार्यप्रणाली को पारदर्शी और ईमानदार बनाना है तो पूरे तंत्र को सुधारना होगा। रसूखदारों की पहचान और सही एनजीओ को प्रश्रय के विषय पर सरकार और  माननीय अदालत को भी गौर करना होगा।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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