MODI की रिश्वत वाली DAIRY की जांच याचिका खारिज: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि इस आरोप की जांच होनी चाहिए कि गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिड़ला और सहारा समूह से रिश्वत ली थी। कोर्ट ने कहा कि पर्याप्त सबूत न होने की वजह से ये याचिका खारिज की जा रही है।

खंडपीठ ने क्या कहा
गैर सरकारी संस्था कॉमकाज की याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताव रॉय की खंडपीठ ने कहा कि एफआईआर दर्ज कराने की मांग को लेकर दाखिल याचिका में प्रधानमंत्री व अन्य राजनीतिक नेताओं और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ जो सबूत दिए गए हैं, वे स्वीकार्य नहीं हैं। 

लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं होगा
अदालत ने कहा, "अगर हम बिना ठोस साक्ष्य के प्रस्तुत सामग्री के आधार पर जांच का आदेश देते हैं, तो संवैधानिक पदाधिकारियों का काम करना मुश्किल हो जाएगा, जो लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं होगा।"  अदालत ने कहा, "जिस स्थिति में इन दस्तावेजों को एकत्र किया गया है और अदालत में प्रस्तुत किया गया है, उस पर हमारी राय है कि यह समुचित जांच के आदेश जारी करने लायक नहीं है।"

पूरा मामला क्या है
सहारा डायरी केस वो मामला है जिसमें आयकर विभाग ने सहारा और बिड़ला ग्रुप पर छापेमार कार्रवाई की थी। सहारा की डायरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली की पूर्व सीएम रह चुकीं शीला दीक्षित का भी नाम था। राहुल गांधी ने भी इसी मामले को लेकर पीएम मोदी के खिलाफ जांच की मांग की थी। आपको बता दें कि बिड़ला और सहारा ग्रुप पर साल 2013 और साल 2014 में आयकर विभाग ने छापा मारा था। इस दौरान विभाग को एक डायरी मिली थी। इसमें कुछ नेताओं के नाम दर्ज पाए गए थे। कुल 54 नाम इसमें शामिल है। हाथ से लिखे गए दो अन्य पेज भी मिले। 

भूषण ने 25 अक्टूबर को की थी शिकायत
हाथ से लिखे गए पेज में पेमेंट का जिक्र है। पेमेंट साल 2010 में किया गया। इसमें यह भी कहा गया है कि कब-कब किन्हें कितना भुगतान किया गया है। भूषण ने 25 अक्टूबर को अपनी शिकायत की थी। शिकायत SIT को की गई थी।

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