INDORE POLITICAL NEWS | जहां तमाम राजनेता अपने बच्चों को राजनीति में सेट करने के लिए जुगत लगात हैं, दिग्विजय सिंह इसके उलट कतई नहीं चाहते थे कि उनका बेटा जयवर्धन सिंह राजनीति में आए। जब जयवर्धन ने खुद इच्छा जताई तब भी दिग्विजय सिंह ने मना कर दिया। यह बात खुद जयवर्धन ने यहां कांग्रेस सम्मेलन में कार्यकर्ताओं के बीच शेयर की।
जयवर्धन का जन्म सन् 1982 में हुआ था। दून स्कूल के बाद जयवर्धन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया, फिर अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पीजी की डिग्री हासिल की। अपने घर-परिवार, दोस्त रिश्तेदारों और ख़ास कार्यकर्ताओं के बीच वे जेवी के नाम से लोकप्रिय हैं। वे अपने पिता और एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को दाता कहकर पुकारते हैं।
जेवी ने बताया कि यूएस से लौटने के बाद उन्होंने दाता से राजनीति में आने की बात कही। इस पर अपने अंदाज में उन्होंने कहा था पागल हो, यह राजनीति सबसे खराब है। इसमें क्यों फंसना चाहते हो। फिर वो बोले यदि इसमें आना ही है तो पहले गांवों में जाकर जनता की समस्याएं जानो फिर सोचना। इसके बाद 15 दिन में यात्रा कर अपने क्षेत्र की जमीनी हकीकत और लोगों की समस्याएं समझने की कोशिश की थी। इस दौरान 150 गांवों की पैदल यात्रा की, लोगों से मिला और फिर इसके बाद चुनाव लड़ा। पिता के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि उनकी सबसे अच्छी बात ये है कि उन्होंने कभी खुद पर गुमान नहीं किया।
कांग्रेस को दी नसीहत
जेवी रविवार को कांग्रेस के सम्मेनल में भाग लेने इंदौर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने बताया कि कैसे कांग्रेस बीजेपी को हरा सकती है। जेवी ने कहा कि कांग्रेस को इस बात पर स्टडी कराना चाहिए कि नोटबंदी के बाद लोग परेशान हैं लेकिन फिर भी लगातार भाजपा के पक्ष में क्यों हैं ? छोटे नगरों, स्कूलों व कॉलेजों में जाकर लोगों को बताना चाहिए कि कैशलेस सिस्टम में उन्हें 2 प्रतिशत ज्यादा भुगतान करना पड़ सकता है। मेरा मानना है कि अब भी समय है, अगर कांग्रेस ग्राउंड लेवल पर लोगों को यह समझाने में सफल हो गई तो 4 राज्यों के चुनाव में भाजपा को झटका दे सकती है।