जम्मू। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आशीर्वाद एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की विशेष कृपा से गठित हुई जम्मू-कश्मीर सरकार ने इस बात से इंकार किया है कि घाटी या कहीं भी हिंसा पर नोटबंदी का कोई असर पड़ा है। राज्य की पीडीपी-बीजेपी सरकार ने कहा कि 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने से आतंकियों को फंडिंग खत्म नहीं हुई है।
राज्य भाजपा अध्यक्ष और जम्मू वेस्ट से विधायक सल पॉल शर्मा ने इस बारे में अतारांकित सवाल किया था। इसके जवाब में सरकार ने विधानसभा में इस बात से इनकार कर दिया कि हिंसा के लिए जाली मुद्रा का इस्तेमाल किया जाता था। शर्मा ने पूछा था कि करंसी नोट्स को अवैध घोषित करने से कहीं पर हिंसा पर क्या प्रभाव पड़ा है और क्या हिंसा के लिए जाली करंसी का प्रयोग हो रहा था?
इसके जवाब में गृह मंत्रालय ने लिखित जवाब में कहा कि हिंसा के लिए जाली मुद्रा के इस्तेमाल पर कोई रिपोर्ट अब तक नहीं मिली है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, उनका जवाब पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियों से मिले इनपुट्स के आधार पर था।
जब उनसे पूछा गया कि क्या इसका मतलब यह है कि घाटी में पत्थरबाजी अपने आप रुक गई और नोटबंदी का इससे कोई लेना-देना नहीं है, तो अधिकारियों में से एक सरकारी जवाब के संदर्भ में कहा कि सिर्फ इसका अर्थ ही वैसा है।
गौरतलब है कि रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने नोटबंदी के सप्ताह भर बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देते हुए कहा था कि घाटी में नोटबंदी के बाद से कोई पत्थरबाजी नहीं हुई है। केंद्रीय गृहराज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था कि आतंकी फंडिंग को बुरी चोट पहुंचाने के अलावा, नोटबंदी का सबसे बड़ा असर यह है कि इसके चलते जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आई है।
8 जुलाई, 2016 को सुरक्षा बलों द्वारा हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी समेत तीन आतंकियों को मार गिराए जाने के बाद घाटी में हिंसा भड़क गई थी। पांच महीने तक चले खूनी संघर्ष में 76 लोगों और दो पुलिसकर्मियों को जान से हाथ धोना पड़ा था।